बिहार (Bihar Politics) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से चर्चा में हैं. इस बार वजह है उनका बार-बार एनडीए के साथ बने रहने का दावा. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जमुई दौरे के दौरान नीतीश ने एक बार फिर कहा कि वह अब एनडीए के साथ ही रहेंगे. लेकिन अक्सर यही देखा गया है कि वह जो बोलते है ठीक उनका इशारा इसके विपरीत ही रहा हैं.
हालांकि ये पहली बार नहीं हैं जब नीतीश कुमार ऐसा बोले हैं, बल्कि इससे पहले भी कई बार बोल चुके है कि अब कही नहीं जाएंगे. और इस तरह से सबको चकमा देने वाले अमित शाह और नरेंद्र मोदी जैसे दिग्गज नेता भी नीतीश कुमार से गच्चा खा चुके हैं. वही नीतीश कुमार के इस बयान के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. विपक्षी दल तो यहां तक कह रहे हैं कि दाल में कुछ काला है. आइये समझते हैं कि नीतीश के इस बयान के पीछे की 10 मुख्य वजहें क्या हो सकती हैं.
छवि बदलना चाहते हैं नीतीश कुमार
दरअसल, नीतीश कुमार की छवि एक ऐसे नेता की रही है जो अक्सर पाला बदलते हैं. हालांकि, अब वह अपनी इस छवि को बदलना चाहते हैं और खुद को एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. विशेषकर 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले वह जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता साबित करना चाहते हैं। बार-बार एनडीए के साथ बने रहने की बात कहकर वह यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अब अस्थिर नहीं हैं.
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पीएम मोदी का जीतना चाहते हैं विश्वास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास जीतना भी नीतीश कुमार की प्राथमिकता है. उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री का विश्वास जीतकर ही वह बिहार के विकास के लिए केंद्र से मदद हासिल कर पाएंगे. इसलिए वह लगातार यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह पूरी तरह से प्रधानमंत्री और एनडीए के साथ हैं.
विपक्ष कर रहा भ्रम फैलाने की कोशिश
विपक्षी दल लगातार नीतीश कुमार को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि नीतीश जल्द ही फिर से पाला बदल लेंगे. ऐसे में नीतीश अपने बार-बार के बयानों से यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वह पूरी तरह से एनडीए के प्रति प्रतिबद्ध हैं और पाला नहीं बदलेंगे.
कार्यकर्ताओं को देना चाहते हैं संदेश
पिछली बार जब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एनडीए का साथ छोड़ा था, तो उनके अपने दल JDU के कई कार्यकर्ता नाराज हुए थे. ऐसे में नीतीश अपने बयानों से कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह इस बार एनडीए के साथ डटे रहेंगे. उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पाला बदलने के लिए कार्यकर्ताओं से माफी भी मांगी थी.
सीएम की कुर्सी रखना चाहते हैं बरकरार
एनडीए में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखना आसान होगा. महागठबंधन में उन्हें तेजस्वी यादव को गद्दी सौंपने का वादा करना पड़ा था. एनडीए में उन्हें ऐसी कोई मजबूरी नहीं है.
बिहार BJP (Bihar Politics) के नेताओं का विश्वास जीतना भी नीतीश कुमार के लिए जरूरी है. अपने बयानों के जरिए वह BJP नेताओं को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि वह पूरी तरह से उनके साथ हैं और उनका सहयोग करेंगे. नीतीश कुमार की पार्टी JDU लंबे समय तक BJP के साथ गठबंधन में रही है. दोनों दलों की विचारधारा भी काफी हद तक मिलती है. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए एनडीए के साथ बने रहना स्वाभाविक है.
बिहार में नीतीश कुमार को अपने सहयोगी दलों का भी समर्थन चाहिए. बार-बार एनडीए के प्रति अपनी वफादारी दिखाकर वह इन दलों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह उनके साथ बने रहेंगे और उन्हें साथ लेकर चलेंगे. केंद्र में BJP की सरकार है. बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार को केंद्र सरकार से सहयोग की जरूरत है. इसलिए वह केंद्र सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं और इसके लिए एनडीए के साथ बने रहना जरूरी है.
2025 के विधानसभा चुनाव (Bihar Politics) नीतीश कुमार के लिए अहम हैं. वह चाहते हैं कि चुनाव से पहले उनके दल और सहयोगी दलों के बीच बेहतर तालमेल हो. बार-बार एनडीए के साथ बने रहने की बात कहकर वह इसी दिशा में काम कर रहे हैं.
नीतीश का पलटी मारने का रहा है इतिहास
बता दें कि नीतीश कुमार का इतिहास (Bihar Politics) पलटी मारने का रहा है. वह पहले भी कई बार पाला बदल चुके हैं. 2005 में BJP के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश 2015 में महागठबंधन में शामिल हो गए थे. 2017 में वह फिर से BJP के साथ आ गए और 2020 का चुनाव साथ लड़ा. लेकिन 2022 में उन्होंने एक बार फिर महागठबंधन का दामन थाम लिया.
हालांकि, 18 महीने बाद ही वह फिर से BJP के साथ आ गए. और बार बार बयान दे रहे है कि अब कही नहीं जाएंगे, ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि नीतीश कुमार इस बार कितने दिनों तक एनडीए के साथ बने रहते हैं. लेकिन फिलहाल तो वह यही कह रहे हैं कि वह अब ‘इधर-उधर’ नहीं जाएंगे.