भारतीय थल सेना दिवस (Indian Army Day) हर साल 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है. इस बार 15 जनवरी को इंडियन आर्मी अपना 77वां सेना दिवस मना रही है.
इस दिवस को मनाने के पीछे की वजह यह है कि करीब 200 साल के ब्रिटिश राज के बाद पहली बार किसी भारतीय को इंडियन आर्मी की कमान सौंपी गई थी. और उस वक्त 15 जनवरी, 1949 को आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) को बनाया गया था.
फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना (Indian Army Day) की कमान ली थी. फ्रांसिस बुचर भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ थे. जबकि करियप्पा आजाद भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ थे. करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में हर साल यह दिवस मनाया जाता है. हालांकि अब यह पद देश के राष्ट्रपति के पास है. इस पद पर करियप्पा के अलावा फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भी रहे. कमांडर-इन- चीफ तीन सेनाओं के प्रमुख को कहा जाता है. करियप्पा को ‘किपर’ के नाम से भी जाना जाता है.
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भारतीय थल सेना दिवस का महत्व
सेना दिवस (Indian Army Day) पर हम अपने सैन्य कर्मियों के असाधारण साहस, अटूट प्रतिबद्धता और बलिदान का सम्मान करते हैं. हमारे राष्ट्र की रक्षा करने और हमारी संप्रभुता को बनाए रखने में उनका अथक समर्पण उनकी बहादुरी का प्रमाण है. 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब देश भर में व्याप्त दंगे-फसादों तथा शरणार्थियों के आवागमन के कारण उथल-पुथल का माहौल था.
इस कारण कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा. इस दौरान एक विशेष सेना कमांड का गठन किया गया, ताकि विभाजन के दौरान शांति-व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके. परन्तु भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे. 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे.
जे एम करिअप्पा कौन थे
- 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे फील्ड मार्शल करिअप्पा ने महज 20 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी.
- करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था.
- भारत-पाक आजादी के वक्त उन्हें दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
- करियप्पा को ‘किपर’ के नाम से भी जाना जाता था. वर्ष 1953 में करिअप्पा सेना से रिटायर हो गए थे.
भारतीय सेना में सर्वोच्च पद होता हैं फील्ड मार्शल का
ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है. भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक सिर्फ दो अधिकारियों को दिया गया है. देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं. उन्हें जनवरी 1973 में राष्ट्रपति ने फील्ड मार्शल पद से सम्मानित किया था. एम करिअप्पा देश के दूसरे फील्ड मार्शल थे. उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल बनाया गया था. भारतीय सेना में फील्ड मार्शल पांच सितारा रैंक वाला सर्वोच्च पद होता है. इसे कमांडर-इन-चीफ भी कहा जाता है.
पुणे में होगा इस बार का भव्य आर्मी डे समारोह
इस बार इंडियन आर्मी सेना दिवस पर अपनी भव्य आर्मी परेड का आयोजन पुणे में करेगी. आर्मी डे परेड में भारतीय सेना के साहस, शक्ति और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया जाएगा. परंपरागत रूप से दिल्ली में आयोजित होने वाली परेड 2023 से अलग-अलग शहरों में आयोजित की जाने लगी, जिसकी शुरुआत बेंगलुरु से हुई और उसके बाद 2024 में लखनऊ में हुई. इस बार आर्मी डे पर पहली बार नेपाली सेना का बैंड भी शामिल होग. अब तक आर्मी डे परेड में कभी भी किसी दूसरे देश की तरफ से कोई बैंड या दस्ता शामिल नहीं हुआ था.