मेरठ की एक पुरानी गली में बने मकान के अंदर एक साजिश रची जा रही थी. घर के भीतर धीमी आवाज़ में चल रही बातचीत धीरे-धीरे एक डरावनी चुप्पी में बदल चुकी थी. वहीं, आसमान में ठहरी चांदनी भी अब तक भय से सहम चुकी थी. दरअसल, यह साजिश सौरभ रस्तोगी (Saurabh Rastogi Murder Case) के खिलाफ वह शख्स रच रहा था, जिस पर वह खुद से अधिक भरोसा करता था. कहने के लिए तो वे दोनों दो जिस्म में थे, पर सौरभ की नजर में दोनों एक जान ही थे.
प्यार के नाम पर सबसे बड़ा धोखा
सौरभ रस्तोगी (Saurabh Rastogi Murder Case), एक सीधा-सादा शख्स था, जिसने अपनी ज़िंदगी अपनी पत्नी और बेटी के लिए समर्पित कर दी थी. 2016 में शादी हुई थी उसकी और जल्द ही दोनों के जिंदगी में एक बेटी आ गई थी. कंधों पर बढ़ती जिम्मेदारियों और परिवार को दुनिया की सारी खुशियां देने के इरादे से वह दो साल बाद बेहतर कमाई के लिए लंदन चला गया. लेकिन, उसे क्या पता था कि उसकी ज़िंदगी में प्यार के नाम पर सबसे बड़ा धोखा लिखा है.
फरवरी में जब सौरभ वापस लौटा, तब तक उसकी पत्नी, मुस्कान का दिल किसी और के लिए धड़कने लगा था. वह साहिल नाम के युवक के प्यार में पड़ चुकी थी. एक ऐसा प्यार, जिसने उसे अपनी सारी हदें पार करने पर मजबूर कर दिया. सौरभ की मौजूदगी अब उनके रिश्ते के लिए सबसे बड़ी रुकावट थी. दोनों ने मिलकर उसे रास्ते से हटाने की ठान ली थी.
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साजिश की पहली कड़ी
रात का खाना तैयार था. मुस्कान ने सौरभ के लिए खास तौर पर पसंदीदा डिश बनाई थी, जिसमें उसने नशीली दवा मिला दी थी. सौरभ को कुछ अजीब तो लगा, लेकिन पत्नी के हाथों बना खाना वह मना भी कैसे कर सकता था? कुछ ही देर बाद उसकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा. साहिल पहले से ही कमरे में छिपा हुआ था. जैसे ही सौरभ बेहोश हुआ, उसने चाकू उठाया और मुस्कान की ओर देखा. उसकी आंखों में शैतानी चमक थी. मुस्कान ने सिर हिलाया, इशारा किया – ‘अब वक्त आ गया है.’ एक तेज़ चीख कमरे में गूंजकर दम तोड़ गई. सौरभ का शरीर अब बेजान पड़ा था.
एक खौफनाक फैसला
सौरभ रस्तोगी का मर्डर (Saurabh Rastogi Murder Case) करना आसान था, लेकिन शव को ठिकाने लगाना सबसे बड़ी चुनौती थी. मुस्कान ने कांपते हाथों से साहिल की ओर देखा, अब क्या करें? साहिल मुस्कुरा कर बोला- मेरे दिमाग में एक प्लान है. उसने आरी उठाई और एक-एक कर सौरभ के शरीर के टुकड़े करने लगा. मुस्कान की आंखों से आंसू गिर रहे थे, लेकिन अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने शरीर के हिस्सों को एक बड़े ड्रम में रखा और उस पर सीमेंट डाल दिया.
गुनाह का पर्दाफाश
हत्या के बाद दोनों एक सामान्य जीवन जीने लगे. लोगों को यह दिखाने के लिए कि सौरभ जिंदा है, मुस्कान ने सबसे कहा कि वे कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं. लेकिन शक की सुई घूमने लगी. सौरभ के परिवार ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. जांच शुरू हुई. पुलिस को मुस्कान और साहिल पर संदेह हुआ. जब कड़ी पूछताछ हुई, तो मुस्कान का चेहरा पीला पड़ने लगा. अंततः उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस जब उनके घर पहुंची, तो वहां ड्रम में दफन वह भयानक सच इंतज़ार कर रहा था. सौरभ के शव के टुकड़े बाहर निकाले गए.
क्रूर हत्याकांड से हिला शहर
इस क्रूर हत्याकांड ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया. प्यार और वासना के नाम पर एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली गई. लेकिन अपराध का अंजाम हमेशा एक ही होता है- गुनहगारों की सजा. मुस्कान और साहिल अब सलाखों के पीछे है, लेकिन सौरभ की मासूम बेटी अपने माता-पिता के बिना एक अनाथ की तरह रह गई. सौरभ के हत्यारे तो सलाखों के पीछे पहुंच गए, लेकिन क्या यह कहानी यहीं खत्म हो गई? या फिर यह समाज के लिए एक चेतावनी बन गई है?