द भारत:- बक्सर, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जितनी गहमागहमी पार्टियों के अन्दर है उतनी ही बेचैनी जनता के बिच भी देखने को मिल रही है. द भारत न्यूज़ के विश्लेष्ण में बक्सर जिला का राजपुर विधानसभा इस बार कुछ चुनौतीपूर्ण हो सकता है मंत्री संतोष निराला के लिए.
राजपुर विधानसभा सीट से जेडीयू उम्मीदवार है परिवहन मंत्री संतोष निराला. सिटिंग विधायक तथा मंत्री होने के कारण राजपुर विधानसभा सीट वीआईपी सीट मानी जा रही है,
जेडीयू ने अपने प्रत्यासियो की पहली सूचि जारी कर दी है. जिनमे संतोष कुमार निराला एक बार पुनः राजपुर विधानसभा से ताल ठोकने को तैयार है. राजपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू 2005 से लगातार जीत दर्ज कर रही है. इस वजह से जदयू के लिए यह सिट बहुत महत्व रखती है.
2015 के विधान सभा चुनाव में भी जदयू के संतोष कुमार निराला जीते थ, वही संतोष कुमार इस सीट से दो बार के विधायक हैं. राजनीति की इतिहास में कई बार इस सीट को लेकर काफी गहमागहमी हुई है. राजपुर विधान सभा सीट का गठन 1977 को हुआ था. उस समय जनता पार्टी के प्रत्याशी नंदकिशोर ने पहली जीत दर्ज की थी.
आपको बता दें, अब तक इस सीट पर दस बार चुनाव हुए हैं,जिस पर दो बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस, एक बार सीपीआई और एक बार बीएसपी को जीत मिली है. वही 2005 के बाद जेडीयू के अलावे किसी और दल को यहां चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई है.
इस बार इस विधानसभा सिट से रालोसपा, जेडीयू, राजद, जाप अपने अपने प्रत्यासियो को इस अखाड़े में उतार रही है. जिसमे से संभवतः रालोसपा से शुकुल राम, जेडीयू से संतोष कुमार निराला, राजद से पूर्व मंत्री छेदी लाल राम या संतोष भारती तथा जाप से सुभाष राम व बीडीसी सदस्य भगमनिया देवी के आने की संभवाना है.
आपको बताते चले की इस दरम्यान रालोसपा और बहुजन गठबंधन कर चुकी है, इस लिए अभी यहाँ यह तय नहीं हो पाया है कि मैदान में रालोसपा आएगी की बहुजन. हालाँकि सूत्रों से मिली सुचना के अनुसार रालोसपा इस सिट का दावा जरुर कर रही है, इस सिट से शुकुल राम होंगे उम्मीदवार .
वोटर लिस्ट के मुताबिक राजपुर विधान सभा क्षेत्र में लगभग 3,19,990 मतदाता हैं. यहां पर भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू और राजद यहां की मुख्य पार्टियां रही है मगर इस बार रालोसपा और बहुजन को भी कम नहीं अंका जा सकता हैं.
लोकसभा चुनाव में यहां 54 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी. कुल मिलाकर आकड़ो से यह पता चलता है कि इस बार संतोष निराला के सामने और भी कई धुरंधर होंगे जिससे लड़ाई थोड़ी मुस्किल होती दिख रही है. खास बात अब यह है कि परिवहन मंत्री को कौन टक्कर देगा इस बात को ले कर चर्चाओं का बाज़ार अभी भी गर्म है.
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