बिहार में जाली सर्टिफिकेट (Fake certificate) बनाने का बड़ा खेल चल रहा है. जहां बड़ी संख्या में युवा इस जद में आ रहे. मेरिट लिस्ट पर मिलने वाली नौकरी के लिए युवा जालसाज के चक्कर में फंस रहे. इसका खुलासा मुजफ्फरपुर में हुआ है. जीडीएस पद पर बहाली में फर्जीवाड़े का बड़ा कारनामा सामने आया है. बहाली के लिए फर्जी सर्टिफिकेट देने वाले 11 मुन्ना भाई को प्रधान डाकघर से गिरफ्तार किया गया.
पूछताछ के बाद पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड को छपरा से गिरफ्तार किया. इन सभी से पूछताछ क. पूछताछ के बाद बुधवार को सभी काे न्यायिक हिरासत में जेल भेजने की कवायद की जा रही. बताया जा रहा कि सर्टिफिकेट (Fake certificate) सत्यापन के लिए प्रधान डाकघर में बुलाया गया था. एक अभ्यर्थी के अंक पत्र में अंग्रेजी में 98 नंबर थे. लेकिन, उसे इंग्लिश लिखने तक नहीं आ रहा था. एक अन्य अभ्यर्थी काे 500 में कुल 491 अंक दर्ज हैं. इसके अलावा, गिरफ्तार अन्य युवकों के भी मार्क्स काफी अधिक है.
झारखंड तक फैला है नेटवर्क
मिली जानकारी के अनुसार गिरोह का नेटवर्क झारखंड तक फैला हुआ है. एक ही स्कूल के कोड पर सभी का सर्टिफिकेट तैयार किया गया था. सत्यापन के दाैरान ऑनलाइन इसका वेरीफिकेशन किया गया ताे उस रोल नंबर का अंक दिखा ही नहीं. यही नहीं जिस झारखंड बोर्ड का मैट्रिक सर्टिफिकेट दिया गया. उस वर्ष 2020 में टॉपर काे अधिकतम अंक 490 मिले थे. शक हाेने पर जब सख्ती की गई ताे दाे ने फर्जी सर्टिफिकेट हाेने की बात कबूल कर ली.
रेल डाक सेवा यू डिवीजन के इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने कहा कि अन्य 9 अभ्यर्थी दस्तावेज के सही हाेने पर अड़े थे. पूरे मामले की जानकारी देने पर प्रधान डाकघर पहुंची नगर थाना पुलिस ने सभी काे हिरासत में लेने के बाद एफआईआर कर कार्रवाई शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि कुल 52 अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए प्रधान डाकघर पहुंचना था. लेकिन, 11 ही आए.
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अभ्यर्थियों ने 5 लाख त. में सौदे की बात कबूली
पुलिस की पूछताछ में अभ्यर्थियों ने बताया कि 3 लाख से 5 लाख तक में सौदा हुआ था. ढाई लाख पहले दिया गया था. नौकरी लगने के बाद ढाई लाख देने थे. रेल डाक सेवा के इंस्पेक्टर ने बताया कि डाक विभाग में जीडीएस पद के लिए भर्ती प्रक्रिया हुई थी. इसमें कई छात्रों का मेरिट लिस्ट निकल चुका था. इसको लेकर सुबह से शाम के छह बजे तक वेरिफिकेशन प्रक्रिया चल रही थी.
यूपी, उत्तराखंड समेत दूसरे अन्य राज्यों में इनकी बहाली होनी थी. लेकिन, फॉर्म भरने के वक्त इन लोगों ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराने के लिए मुजफ्फरपुर केंद्र चुना था. जब इनका वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की गई तो होश उड़ गए. इनमें से किसी का भी डॉक्यूमेंट ऑनलाइन शो नही कर रहा था. सभी के स्कूल में दिए जाने वाले क्रमांक कोड एक ही था. जिसके बाद इन पर शक गहरा गया. तब जाकर उन्हें पकड़ा गया.
11 में सबसे ज्यादा 6 अभ्यर्थी सारण व 2 गोपालगंज जिला के
जाली सर्टिफिकेट (Fake certificate) पर नौकरी पाने की कोशिश करने वाले 11 अभ्यर्थियों में से 6 सारण, 2 गोपालगंज, एक-एक सिवान, मोकामा व बक्सर का रहने वाला है. बक्सर के युवक ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि ढाई लाख रुपए में सौदा तय हुआ था. छपरा के एक साइबर कैफे से फॉर्म डाला गया था.
उसी ने जाली सर्टिफिकेट बनाया था. नौकरी लगने के बाद ढाई लाख रुपए देने थे. लेकिन इससे पहले पकड़े गए, जिसके बाद सभी को पुलिस के हवाले सौंप दिया गया. नगर थानेदार श्रीराम सिंह ने बताया कि इस मामले में 11 लोगो की गिरफ्तारी की गई है. प्रधान डाकघर के कर्मचारी ने एफआईआर दर्ज कराई है.
जिनमे सारण के छपरा बाजार निवासी मास्टरमाइंड संतोष सिंह, बक्सर निवासी मुकेश कुमार, दीवान निवासी विवेक कुमार तिवारी, छपरा के जीतेश कुमार, गोपालगंज के राजन कुमार, छपरा के संदेश कुमार, छपरा के राकेश कुमार पांडेय, छपरा के दिलीप कुमार यादव, छपरा के धनोज कुमार ठाकुर, छपरा के अमन कुमार, छपरा के विवेक कुमार.