Crude Oil: देश में विभिन्न सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. इस वजह से लोगों के किचन के बजट पर असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में लोग सब्जियों की कीमतों में नरमी का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं. इसी बीच सरकार ने कहा है कि नई फसल की आवक से सब्जियों की कीमतों में अगले महीने से नरमी आनी शुरू हो जाएगी. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. यह आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है.
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महंगा हो सकता है तेल
अधिकारी ने सब्जियों की कीमतों में नरमी की उम्मीद जाहिर की. हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई. हालांकि, यह अब भी 90 डॉलर प्रति बैरल के टॉलरेबल जोन में है. देश में पेट्रोल और डीजल के दाम लंबे समय से अपरिवर्तित हैं लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय उछाल की स्थिति में पेट्रोल, डीजल की कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है. इससे आम लोगों की परेशानियां और बढ़ सकती हैं.
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि एक्साइज ड्यूटी में कमी को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश की अगुवाई कर रही है और प्राइवेट सेक्टर द्वारा पूंजी के निवेश ने अब तक रफ्तार नहीं पकड़ी है.
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सरकार कर रही है पूंजीगत निवेश
उन्होंने कहा कि सितंबर के आखिर तक केंद्र सरकार का पूंजीगत निवेश बजट अनुमान के 50 फीसदी तक पहुंच जाएगा. जून के आखिर तक यह आंकड़ा 28 फीसदी पर रहा था. 2023-24 के बजट में सरकार ने कैपिटल इंवेस्टमेंट के बजट को चालू वित्त वर्ष में 33 फीसदी की वृद्धि के साथ 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया था.
महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार उठा रही कदम
Crude Oil: अधिकारी ने कहा कि बारिश की छह फीसदी कमी से खरीफ की फसल पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में लचीलता बनी हुई है. सरकार महंगाई को काबू में करने के लिए कई कदम उठा रही है. सरकार ने भंडारों से गेहूं और चावल के स्टॉक रिलीज किए हैं. इसके अलावा चावल और चीनी के निर्यात पर पाबंदियां लगाने के साथ-साथ दालों एवं तिलहन के आयात की अनुमति दी है. सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का भी फैसला किया है.
अधिकारी ने बताया कि टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं और उनका असर आने वाले महीनों में देखने को मिलेगा. टमाटर एक मौसमी फसल है और नई फसल जल्द आने वाली है जिससे कीमतों से जुड़ा दबाव कम होगा.