दिल्ली में Lalu Yadav और कांग्रेस के आलावा Pappu Yadav समेत कई नेताओं की तीन दिनों तक बैठक हुई, जिसमें सीट शेयरिंग की पेंच को सुलझाया गया. आज महागठबंधन की ओर से कौन पार्टी किस सीट से चुनाव लड़ेंगी, इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी.
लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि जिस पूर्णिया सीट से महागठबंधन का टिकट पाने के लिए पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी(जाप) का कांग्रेस में विलय करा दिया, क्या उनकी ये मुराद पूरी होगी? क्योंकि एक तरफ वो इस जिद पर अड़े हैं और दूसरी तरफ लालू यादव ने बीमा भारती को पूर्णिया के लिए अपना सिंबल दे दिया है. वो चुनाव प्रचार में जुट भी गई हैं.
तीन पॉइंट में समझिए कि पप्पू यादव के पास क्या-क्या विकल्प हैं…
1. राजद पूर्णिया सीट देने के लिए राजी हो जाए
चुनाव लड़ने के लिए पप्पू यादव (Pappu Yadav) के पास सबसे आसान विकल्प पूर्णिया है- कांग्रेस और राजद (RJD) के बीच समझौता हो जाए और राजद की तरफ से पूर्णिया सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दिया जाए. लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि लालू प्रसाद यादव अब इसे आन पर ले लिए हैं. उन्होंने पप्पू यादव को घर बुलाकर मधेपुरा सीट से लड़ने का ऑफर किए थे, लेकिन पप्पू यादव ने इनकार कर दिया. इसके बाद लालू यादव ने बीमा भारती को मैदान में उतार दिया.
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2. सीवान की तरह इस बार पूर्णिया में फ्रेंडली फाइट हो जाए
दोनों की जिद को शांत करने के लिए एक विकल्प ये भी हो सकता है कि कांग्रेस और राजद के बीच पूर्णिया सीट पर फ्रेंडली फाइट हो जाए. अन्य सीटों पर गठबंधन के कैंडिडेट हों और पूर्णिया में राजद और कांग्रेस दोनों अपना उम्मीदवार उतारें. राजद पिछले लोकसभा चुनाव में भाकपा माले के साथ सीवान सीट पर ऐसा कर चुका है. लेकिन ऐसा तभी संभव है जब कांग्रेस पूर्णिया सीट का सिंबल पप्पू यादव को देने के लिए राजी हो. पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है.
3. पप्पू पुन: जाप को जिंदा कर लें निर्दलीय उतरें
पप्पू यादव (Pappu Yadav) के पास पूर्णिया से चुनाव लड़ने का एकमात्र आखिरी विकल्प बचता है कि एक बार फिर से अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस से विलय वापस ले लें और उसी के सिंबल से चुनाव लड़ लें, जैसा वे तैयारी कर रहे थे. नहीं तो वे कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) दोनों से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाएं.
आखिर पूर्णिया से ही क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं पप्पू
52 साल की उम्र में 5 बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले पप्पू यादव (Pappu Yadav) इस बार हर हाल में लोकसभा पहुंचना चाहते हैं. 6 महीने पहले ही उन्होंने इस बात का ऐलान कर दिया था कि वे इस बार पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे. पिछले 4 महीने से वे लगातार पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं.
उन्होंने वहां पहले प्रणाम पूर्णिया का कैंपेन चलाया. इसके बाद पिछले महीने एक बड़ी रैली कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी किया. लेकिन, वे जानते हैं कि बिना एनडीए या I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा बने अपनी इस मुहिम में कामयाब नहीं हो सकते हैं. इसके लिए वे लगातार राजद और कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में थे.
अब तक 5 चुनाव जीत चुके हैं पप्पू यादव
पप्पू यादव (Pappu Yadav) साल 1990 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद उनका सियासी कद लगातार बढ़ता गया और सियासत की ऊंची सीढ़ियां चढ़ते चले गए. विधानसभा में जीत के एक साल बाद ही साल 1991 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्णिया से न केवल चुनाव लड़े, बल्कि जीते भी.
1996 के चुनाव में बिहार से बाहर की पार्टी समाजवादी पार्टी ने उन्हें पूर्णिया सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. एक बार फिर पप्पू यादव पूर्णिया जीतने में सफल रहे. तीन साल बाद हुए 1999 के चुनाव में पप्पू यादव फिर से पूर्णिया से निर्दलीय मैदान में उतरे और तीसरी बार सांसद बनने में सफल रहे.
राजद जॉइन करते ही बीमा भारती को पूर्णिया का सिंबल मिल गया था
2004 के लोकसभा चुनाव में राजद (RJD) ने इन्हें मधेपुरा से अपना उम्मीदवार बनाया. इन्होंने मधेपुरा में भी राजद का झंडा बुलंद किया और जीतने में सफल रहे. 2009 में पटना हाई कोर्ट ने हत्या के एक मामले में दोषी करार देते हुए पप्पू यादव के लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. इसके बाद उन्हें लालू यादव (Lalu Yadav) ने भी बाहर का रास्ता दिखा दिया.
करीब 5 साल बाद यानी 2014 के चुनाव में पप्पू यादव की आरजेडी (RJD) में वापसी हुई. एक बार फिर से इन्हें मधेपुरा सीट से शरद यादव के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया. इस चुनाव में पप्पू यादव ने मोदी लहर में ना केवल आरजेडी को जीत दिलाई, बल्कि जदयू के कद्दावर नेता रहे शरद यादव को 50 हजार वोट से हराया था.
इसके एक साल बाद मई 2015 में आरजेडी (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Yadav) ने पप्पू यादव को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके बाद पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी बनाई और 2019 के चुनाव में मधेपुरा से चुनाव लड़ा. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 के बाद ये अब तक कोई चुनाव नहीं जीते हैं.