औरंगाबाद (Aurangabad) लोकसभा सीट पर अंदर ही अंदर काफी खलबली मची हुई हैं. जब टिकट की कहीं कोई चर्चा नहीं थी, तब लालू यादव (Lalu Yadav) ने औरंगाबाद से अभय कुशवाहा को सिंबल थमा कर सनसनी मचा दी थी. कांग्रेस के निखिल कुमार के घोर आपत्ति के बाद भी लालू के अभय की लॉटरी नंबर नहीं बदला. अब ग्राउंड पर हालात कुछ और हैं.
कांग्रेसी पहले से ही मुंह फुलाए बैठे हैं तो आरजेडी की लोकल यूनिट में यादव बनाम कुशवाहा की जंग की चल रही है. आमतौर पर यादवों के बीच ऐसा परसेप्शन है कि आरजेडी उनकी ‘अपनी’ पार्टी है. उसके लिए वोटबैंक भी बने हुए हैं. मगर, सभी जगह ऐसे हालात नहीं हैं. ऊपर से आए अभय कुशवाहा ने औरंगाबाद में ‘टिकट’ की बाजी मार ली.
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यादव नेता भीतर-ही-भीतर सुलग रहे हैं
लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद पाले यादव नेता भीतर-ही-भीतर सुलग रहे हैं. उनको लगता है कि उनकी ‘अपनी’ पार्टी पर कुशवाहा समाज औरंगाबाद में कब्जा कर रहा है, जबकि कुशवाहा पार्टी होने का ठप्पा जेडीयू पर है. और तो और औरंगाबाद के आरजेडी जिलाध्यक्ष भी कुशवाहा जाति से हैं और लोकसभा उम्मीदवार भी एक कुशवाहा है. आलम ये रहा कि रफीगंज में तेजस्वी यादव के आने से पहले गाली न देने की अपील, जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा को मंच से करनी पड़ी.
औरंगाबाद आरजेडी में यादव Vs कुशवाहा की जंग
आरजेडी के पोस्टर बॉय तेजस्वी यादव का रफीगंज में 10 अप्रैल को कार्यक्रम था. उनके आने के पहले राजद जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ‘शकंर जी आप एक मिनट बोल लीजिए और अपने भाई को समझाइए की पीछे में अध्यक्ष को गाली न दे. 15 सेकेंड की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है. शुरू में तो पता नहीं चला मगर जब इसकी पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि आखिर औरंगाबाद आरजेडी में क्या चल रहा है.
दरअसल, आरजेडी के वरीय नेता और पूर्व जिला पार्षद शंकर यादवेंदु को अपने भाई को गाली देने से मना करने की जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा मंच से सलाह दे रहे थे. इसे लेकर न केवल जिला अध्यक्ष और राजद नेता में ठन गई है बल्कि मामला यादव बनाम कुशवाहा हो गया है. जो राजद के चुनावी सेहत के लिए घातक है. इसे लेकर राजद नेता शंकर यादवेंदु अपनी ही पार्टी के जिला अध्यक्ष पर हमलावर भी हैं.
RJD की अंदरूनी कलह न डूबो दे अभय की चुनावी नैया
शंकर यादवेंदु में पूरे मामले को खुलकर रखा. उन्होंने कहा कि इसके पीछे की वजह ये है कि मैं 2020 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी (आरजेडी) से रफीगंज के लिए टिकट का दावेदार था. मेरी दावेदारी भी मजबूत थी लेकिन पार्टी (आरजेडी) ने मुझे ये कहकर टिकट नहीं दिया कि नेहालुद्दीन बुजुर्ग हैं और ये उनका अंतिम चुनाव है. आपको आगे मौका दिया जाएगा. पार्टी के इसी आश्वासन को उन्होंने शिरोधार्य करते हुए खून-पसीना बहाकर मोहम्मद नेहालुद्दीन को चुनाव जीताने का काम किया.
इतना करने के बावजूद विधायक नेहालुद्दीन मुझे अपना दुश्मन सरीखा मानते हैं. अब वे अगले चुनाव में अपने बेटे को लड़ाने के लिए स्थापित करने में लगे हैं. उनके इस काम में पूर्व जिला अध्यक्ष कालेश्वर यादव भी साथ दे रहे हैं. इसी कारण तेजस्वी यादव की सभा में मुझे इन दोनों के इशारे पर ही बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा था. इसी पर मेरे भाई ने धीरे से आपत्ति जताई थी. जिसे जिला अध्यक्ष ने मंच से ही गाली देने के रूप में प्रचारित कर मुझे बदनाम करने का काम किया. ये तीनों (कालेश्वर यादव, नेहालुद्दीन और अमरेंद्र कुशवाहा) नहीं चाहते हैं कि मैं राजनीति में आगे बढूं. जबकि, मैं राजद का सच्चा सिपाही हूं और 30 साल से लगातार पार्टी की सेवा कर रहा हूं.
औरंगाबाद के यादव और कुशवाहा नेताओं में पैचअप की कोशिश
औरंगाबाद में अभय कुशवाहा का मुकाबला निवर्तमान सांसद और बीजेपी उम्मीदवार सुशील सिंह से है और पहले चरण में यहां 19 अप्रैल को मतदान है. यादव बनाम कुशवाहा के झगड़े को लेकर पूछे जाने पर जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इस तरह का कोई मामला नहीं है. ये सब बकवास है और बेवजह प्रोपेगेंडा किया जा रहा है.
दोनों की बातों से ये साफ है कि भले ही ऊपरी तौर पर दिखाया जा रहा है कि मामला कुछ भी नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि अंदर ही अंदर यादव बनाम कुशवाहा का खेल औरंगाबाद में हो रहा है. वास्तव में ऐसा खेल चल रहा है तो ये पार्टी कैंडिडेट अभय कुशवाहा के लिए बेहद घातक हो सकता है. ऐसा हुआ तो उनकी चुनावी नैया भी डूब सकती है. जानकारों के मुताबिक मामले को पार्टी के अंदर पैचअप करने की पुरजोर कोशिश चल रही है.