देश में दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन को बढाने के लिए सरकार भी प्रयास कर रही है. दलहनी फसलों में चना भी शामिल है. यदि आप भी चने की खेती (Gram Cultivation) कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए जिससे चने की फसल के उत्पादन में वृद्धि हो.
चने की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी टिप्स
चने की खेती (Gram Cultivation) करने से मिट्टी की उर्वर्कता भी बढ़ती है. इसके लिए ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. ताकि अच्छी पैदावार मिल सके. इस फसल के लिए 10 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तक का तापमान बेहतर माना जाता है. चने की अच्छी पैदावार के लिए खेतों में जल निकासी होनी चाहिए. चने की खेती के लिए दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. इसके अलावा मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना बेहतर माना जाता है.
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कृषि वैज्ञानिक या कृषि सलाहकार से सलाह और जानकारी लेते रहे.
चने की फसलों की बुआई के लिए उत्तर भारत में अक्टूबर से नवंबर और दक्षिण भारत में सितंबर से अक्टूबर तक का समय बेहतर रहता है. चने को कतारों में बोया जाना चाहिए. जिनके बीच की दूरी 30-45 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसके साथ ही पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बुआई से पहले खेतों में 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालना चाहिए. जब चने की फसल में अंकुरण हो जाए, फूल आने और फल बनने की अवस्था में सिंचाई की जरूरत रहती है.
याद रहे आज कि खेती पूरी तरह से तकनीक और बेहतर आइडीआज के ऊपर आश्रित हो चुकी हैं. इसलिए समय समय पर इस तरह की खेती (Gram Cultivation) करते वक्त कृषि वैज्ञानिक या कृषि सलाहकार से सलाह और जानकारी लेते रहे.