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Buddha Purnima : जहां से ज्ञान की तलाश में निकले बुद्ध… वहीं अंधेरा, आजादी के 77 वर्ष बाद भी कपिलवस्तु का पिपरहवा उपेक्षित

आज बैशाख पूर्णिमा है और गौतम बुद्ध का जन्म दिवस भी. हालांकि बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का उत्सव तीन महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ा हुवा हैं. आज ही के दिन यानी पूर्णिमा को ही गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और आज ही के दिन उनका परिनिर्वाण भी हुवा था. जीवन में ऐसी आलंकारिक अनुभूति संयोग से ही किसी को मिलती हैं.

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का दिन कई वजहों से विशेष माना जाता है. यह दिन बुद्ध के जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण के तौर पर मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी.

गौतम बुद्ध का जन्म आज से करीब 563 ई.पू. यानी ढाई हजार साल पहले हुआ था. वे 18 वर्ष की आयु में ही वह राजसी जीवन को त्यागकर समस्त मानव जीवन की समस्याओ का हल की खोज में निकल पड़े. वर्षों की भटकाव और कठिन तपस्या के बाद, तकरीबन 35 वर्ष की आयु में उन्हे बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई और वो बुद्ध बने.

जहां से ज्ञान की तलाश में निकले बुद्ध… वहीं अंधेरा

गौतम बुद्ध ने अपने ज्ञान से पूरी दुनिया को जीने की एक नई राह दिखाई, लेकिन वे जहां से ज्ञान की तलाश में निकले…आज वहीं अंधेरा है. हालंकी बुद्ध से जुड़े कई अन्य क्षेत्रों को विकसित तो किया गया. मगर कपिलवस्तु आज भी अपने अपेक्षा के अनुसार विकास की बाट जोह रहा हैं.

सिद्धार्थनगर का कपिलवस्तु जो कि सीधे सीधे राजकुमार सिद्धार्थ के प्रारंभिक जीवन से जुड़ा हैं, जहां उनके निजी आवास थे. जहां उनका विवाह हुआ, उनके पुत्र का जन्म हुआ और उनके परिनिर्वाण के पश्चात आठ मौलिक स्तूपों में से एक स्तूप उनके धातु अवशेषों पर बनाया गया. वह कपिलवस्तु का पिपरहवा आजादी के 77 वर्ष के पश्चात उपेक्षा का दंश झेल रहा है.


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इन स्थलों बड़े पैमाने पर किया गया विकसित

वर्तमान समय में जहां बुद्ध का जन्म हुआ लुंबनी, जहां उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई बौद्ध गया, जहां उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया सारनाथ, जहां उन्होंने महत्वपूर्ण समय बिताया राजगृह, वैशाली, जहां उन्होंने सर्वाधिक 24 समय व्यतीत किया श्रावस्ती और जहां उनका महा परिनिर्वाण हुआ कुशीनगर, इन सभी स्थलों को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया गया.

मगर कपिलवस्तु का पिपरहवा जहां न तो समीप से कोई राज्य मार्ग गुजरता है, न ही यहां कोई हवाई अड्डा है, और न ही कोई रेल मार्ग है, जहां से बुद्ध के अवशेष के अलावा कई धातु मिले कम से कम उन जगहो का विकास तो होना ही चाहिए. लेकिन अभी तक इसके प्रति किसी का ध्यान आकर्षित नहीं हुवा.

80 वर्ष की आयु में परिनिर्वाण को प्राप्त हुए

तथागत बुद्ध ने जीवन के दुखों के कारण और उन्हें दूर करने के उपाय पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया. और उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगीक मार्ग की देशना दी. तथागत गौतम बुद्ध ने जो देशना दी उनमें प्रेम, करुणा और अहिंसा पहले स्थान पर हैं. उन्होंने सिखाया कि प्रेम, करुणा और अहिंसा का अनुसरण करने से दुनिया के समस्त प्राणी सुखी रहेंगे.

इतिहासकार बताते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध वर्षा के महीनों को छोड़ कर अन्य महीनों में घूमते रहते थे. गौतम बुद्ध उत्तर भारत के जिन प्रमुख नगरों में अपने विचारों का प्रचार-प्रसार किया, उनमें श्रावस्ती, सारनाथ, काशी, राजगृह, वैशाली, कौशांबी आदि प्रमुख थे. गौतम बुद्ध 80 वर्ष की आयु में तत्कालीन मलय गणराज्य की राजधानी कुशीनारा (वर्तमान कुशीनगर) में लगभग 483 ईशा पूर्व में परिनिर्वाण को प्राप्त हुए.

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