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Breaking News: हर्ष फायरिंग के दौरान सिंगर निशा उपाध्याय को लगी गोली, अस्पताल में भर्ती

Breaking News: सारण जिले में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान फायरिंग में भोजपुरी गायिका निशा उपाध्याय को गोली लग गई. गोली उनकी जांघ में लगी है. निशा को पटना के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. वह खतरे से बाहर हैं. इस मामले अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.

निशा उपाध्याय मंगलवार देर रात छपरा के जनता बाजार थाना क्षेत्र के सेंदुवार गांव में स्टेज शो करने गई थीं. यहां अनिल सिंह के घर में यगोपवित संस्कार का कार्यक्रम था.

जैसे ही स्टेज पर आईं

निशा उपाध्याय जैसे ही स्टेज पर आईं, वैसे ही हर्ष फायरिंग शुरू हो गई. अचानक वह पैर सहलाने लगीं. स्टेज से फायरिंग नहीं करने की अपील की जाने लगी. मंच संचालक ने कहा कि निशा जी को छिटक कर गोली लग गई है. इसके बाद हड़कंप मच गया. उन्हें आनन-फानन पटना लाया गया.

बता दें कि निशा उपाध्याय

Breaking News: बता दें कि निशा उपाध्याय मूल रूप से सारण जिले के गड़खा थाना क्षेत्र स्थित गौहर बसंत गांव की रहने वाली हैं, लेकिन इन दिनों वह पटना मेंरहती हैं.

मनोरंजन से जुडी और खबरे भी पढ़ें:  इन बीते सालों में अक्षय कुमार रियल लाइफ हीरोज की कहानियों को दर्शाने में माहिर हो चुके हैं. उनकी पैडमैन, एयरलिफ्ट, रुस्तम, गोल्ड, केसरी, सम्राट पृथ्वीराज ऐसी कहानियों के उदाहरण हैं. निर्देशक टीनू देसाई की ताजा-तरीन फिल्म मिशन रानीगंज भी इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाती है. यह कहानी है वेस्ट  बंगाल के जांबाज माइनिंग  इंजीनियर जसवंत गिल की, जिन्होंने 1989 में अपनी जान की बाजी लगाकर कोयले की खदान में फंसे माइनिंग मजदूरों की जान बचाई थी.

कहानी की शुरुआत होती है

नवंबर 1989 से, जब सुबह-सुबह पश्चिम बंगाल के रानीगंज की महावीर कोयला खदान में 65 मजदूरों के फंसने की खबर आती है. अपने नियमित काम-काज के तहत लगभग ढाई सौ मजदूर खदान में गए थे, मगर खदान में होने वाले विस्फोट के कारण वहां बाढ़ आ जाती है, 179 मजदूर किसी तरह अपनी जान बचाकर खदान से निकलने में कामयाब रहते हैं, जबकि 65 मजदूर वहीं फंसे रह जाते हैं. खदान में तेजी से भरते पानी के कारण छह मजदूर अपनी जान गंवा बैठते हैं.

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