होमरुपया/पैसाLocker Agreement: लॉकर एग्रीमेंट क्या हैं? लॉकर में रखे सामान को नुकसान...

Locker Agreement: लॉकर एग्रीमेंट क्या हैं? लॉकर में रखे सामान को नुकसान होने पर जाने बैंक क्या करेगा

अधिकांश बैंक अपनी सभी प्रमुख शाखा में लॉकर सुविधा (Locker Facilty) उपलब्ध कराते हैं. कस्टमर लॉकर में गहने और दस्तावेज़ जैसे वस्तुएं रख सकते हैं, जिसके एवज में उन्हें किराया देना होता है. यह किराया लॉकर (Locker Agreement)की साइज़, बैंक की ब्रांच की लोकेशन के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. कस्टमर को वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही पूरा किराया चुकाना होता है.

लॉकर होल्डर्स के कुछ अधिकार और कर्तव्य होते हैं, जिनका ब्योरा लॉकर एग्रीमेंट (Locker Agreement) में दिया जाता है. बैंक लॉकर एग्रीमेंट पर ‌सिग्नेचर के बाद उसकी एक कॉपी कस्टमर को देता है. एग्रीमेंट पर दोनों पार्टियों (bank and customer) के सिग्नेचर होते हैं.

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में लॉकर पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके बाद संशोधित लॉकर एग्रीमेंट को सभी मौजूदा लॉकर होल्डर्स को एग्जिक्यूट करना है. आरबीआई ने संशोधित लॉकर एग्रीमेंट को क्रमबद्ध तरीके से एग्जिक्यूट करने के लिए 31 दिसंबर, 2023 की समय सीमा निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें: PM Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना मिलने में आए दिक्कत तो ऐसे करें शिकायत, यहा चेक करें अपना नाम!

आपको बता दें कि किराया समय पर चुकाया जा रहा हो, मगर लॉकर सात साल से निष्क्रिय हो तो बैंक लॉकर होल्डर की ओर से नॉमिनेटेड पर्सन या कानूनी उत्तराधिकारियों को लॉकर की सामग्री को ट्रांसफर कर सकता है. परिस्थितियों के अनुसार, बैंक पारदर्शी तरीके से उन वस्तुओं का निस्तारण करने के लिए भी आजाद है.

आग, चोरी और डकैती की स्थिति में बैंक कितना भुगतान करता है

अगर लॉकर में रखे आपके सामान को नुकसान बैंक की अपनी कमियों, लापरवाही और उसके कर्मचारियों की ओर से हुई किसी चूक/कृत्य या धोखाधड़ी के कारण होती है तो बैंक की देनदारी सेफ डिपॉजिट बॉक्स के मौजूदा सालाना किराए के सौ गुना के बराबर राशि तक होती है.

यदि लॉकर का किराया 2000 रुपये है

यदि लॉकर का किराया 2000 रुपये है तो बैंक 2000 रुपये का 100 गुना यानी 200,000 रुपये का भुगतान करेगा. एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार, “ब्रांच यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेंगी कि उनकी अपनी कमियों, लापरवाही और किसी चूक/कृत्य के कारण बैंक के परिसर में आग, चोरी/सेंधमारी/लूट, डकैती, इमारत ढहने जैसी घटनाएं न हों. ऐसे मामलों में जहां लॉकर में रखे सामान को हानि ऊपर उल्लिखित घटनाओं के कारण होती है या उसके कर्मचारियों की धोखाधड़ी के कारण होती है तो बैंकों की देनदारी प्रचलित सालाना राशि के सौ गुना के बराबर राशि होगी.”

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अनुसार, “बैंक लॉकर की सामग्री का रिकॉर्ड नहीं रखता है और किसी भी जोखिम के खिलाफ लॉकर की सामग्री का बीमा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होता.”

कस्टमर लॉकर में क्या-क्या रख सकते हैं

संपत्ति के दस्तावेज़, गहने, लोन डॉक्यूमेंट, ब‌र्थ/मैरिज सर्टीफिकेट, सेविंग बॉड्स, बीमा पॉलिसी, अन्य गोपनीय और निजी वस्तुएं, जिन्हें सुरक्षित रखने की आवश्यकता होती है, उन्हें लॉकर में रखा जा सकता है.

The Bharat
The Bharat
The Bharat एक न्यूज़ एजेंसी है. ईसका उद्देश्य "पक्ष या विपक्ष नहीं बल्कि "निष्पक्ष" रुप से तथ्यों को लिखना तथा अपने पाठकों तक सही व सत्य खबर पहुंचाना है. मीडिया को हृदय की गहराइयों से निष्पक्ष बनाए रखने एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में "The Bharat" एक प्रयास है.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Latest News