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Buxar Mrityu Bhoj : बक्सर में मृत्यु भोज का बहिष्कार कर श्रद्धांजलि सभा का हुवा आयोजन, लोगों ने कुप्रथाओं के खिलाफ मुहिम को सराहा

बक्सर में रविवार को डुमराव अनुमंडल के रामधनपुर निवासी धम्म संस्कारक कपिलमुनी मौर्य की पत्नी अनुमतियां देवी (64) के निधन के उपरांत मृत्यु भोज (Mrityu Bhoj) का बहिष्कार कर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. श्रद्धांजलि सभा में आए सभी सुभचिंतकों ने एक मिनट का मौन रखकर उनके आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

आम तौर पर समाज में कई ऐसी कुप्रथाये है जो निम्न वर्ग के लोगो को निचोड़ कर रख देती हैं. जिनमें एक मृत्यु भोज (Mrityu Bhoj) भी शामिल हैं. मृत्यु भोज में जहा ये धारणा हैं कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद घरों में मृत्यु भोज आयोजित किया जाता है. वही इस धारणा को तोड़ते हुवे धम्म संस्कारक कपिलमुनी मौर्य ने एक मिसाल कायम की हैं.


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श्राद्ध नहीं श्रद्धांजलि सभा: डुमराव विधायक

अनुमतिया देवी के श्रद्धांजलि सभा में आए डुमराव विधायक अजित कुमार सिंह ने कहा कि यह श्राद्ध नहीं श्रद्धांजलि सभा हैं. भोज नहीं बल्कि भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. आगे की बाते वीडियो फुटेज में देंखे.

पहले की अवधारणा 

मृत्यु भोज (Mrityu Bhoj) में मृतक के परिवार के लोग अपने रिश्तेदारों, समाज, ब्राह्मणों और पाटीदारों को भोजन कराते थे. साथ ही इस दिन मृतक की पसंद की चीज़ें बनाई जाती थी. ताकि उनके मरने के बाद उनके आत्मा को शांति मिल सकें. वही इस कुप्रथा पर चोट करते हुवे बिहार के चर्चित बिरहा एवं सांस्कृतिक गायक गोपाल मौर्य ने व्यंग्य कसते हुवे कहा कि “जियाला पर ना पानी दिहले मुआला पर देले बेटा गेठा मिली, पिपरा में बंधला से मेटा, बेटा गेठा मिली”

सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

सम्राट अशोक क्लब बक्सर के जिला अध्यक्ष पूर्णेन्दु मौर्य ने कहा कि मृत्यु भोज (Mrityu Bhoj) के दौरान बड़ी मात्रा में भोजन का आयोजन और वस्तुओं का आदान-प्रदान गांव के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभा’व डाल रहा है. इस क्रम में ये परंपराएं न केवल समाज को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही हैं, बल्कि व्यर्थ के खर्चों के कारण परिवारों पर अनावश्यक बोझ भी डाल रही हैं.

जागरूकता अभियान की शुरुआत

कपिलमुनी मौर्य ने अपने जीवनकाल के दौरान इन कुप्रथाओं के दुष्परिणामों को गहराई से अनुभव किया. विशेष रूप से बिहार के कई गांवों में, जहां मृत्यु भोज के आयोजन ने परिवार को झकझोर दिया हैं. वही पत्नी के परिनिर्वाण के बाद, उन्होंने अपने गांव और आसपास के इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने का निश्चय किया.

वही ब्रहमपुर विधायक शंभू यादव ने कहा कि इस पहल से न केवल समाज सुधार का एक प्रतीक बनेगी, बल्कि ग्रामीणों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाने का उत्कृष्ट उदाहरण भी साबित होगी. कपिलमुनी मौर्य का साहसिक कदम यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ निश्चय से सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त किया जा सकता है.

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