Rice Price Relief: चावल के निर्यात को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. अनाज की कीमतें घरेलु बाजार में आसमान पर पहुंच रही है. जिसे देखते हुए ये कदम उठाया गया. अब 20 प्रतिशत उबले चावलों पर एक्सपोर्ट शुल्क लगाई जाएगी. इस फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है. बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने घरेलु मार्केट पर पहले कई अनाज के निर्यात पर रोक लगा दी. भारत दुनिया का सबसे बड़ा अनाज निर्यातक देश है.
निर्यात पर लगा प्रतिबंध
भारत सरकार ने चावलों की बढती कीमतों को देखते हुए 20 जुलाई को ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. ताकि चावलों की सप्लाई में कमी ना हो. इस प्रतिबंध के कारण भारत के घरेलु बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ेगी.
अब जब केंद्र सरकार 20 प्रतिशत उबले चावलों पर भी टैरिफ लगा दिया है तो इसके परिणामस्वरूप इन चावलों की बिक्री कमी होगी. घरेलू मार्केट में चावल ज्यादा उपलब्ध हो जाएंगे. इसके पहले चावलों के उत्पादन में वृद्धि के कारण चावलों के निर्यात में तेजी रिकॉर्ड की है थी.
कम होगा उत्पादन
इस साल के लिए अनुमान जताया जा रहा है कि मौसम की मार के कारण चावल की फसल भी प्रभावित हुई है. चावल के उत्पादन में कमी आने की आशंका जताई जा रही है. अल नीनो मौसम पैटर्न के कारण आसमान मानसून रहने की चिंता है. इसलिए केंद्र सरकार चावलों के भण्डारण को बढ़ाने की कोशिश कर ढ़ाही है. ताकि जब मार्केट में चावलों की कमी की स्थिति बने तो सरकार अपने भण्डारण से सप्लाई कर सके. जिसके कारण चावलोंकी कीमतों को बढाने से भी बचाया जा सकता है.
महंगाई को नियंत्रण में लाने के सरकार के प्लान
Rice Price Relief: सरकार ने महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए दो प्लान बनाए हैं. जिनमें पहला निर्यात पर पाबंदी लगाना ताकि अनाज की सप्लाई रुकने से देश में कमी की स्थिति से बचा जा सके. दूसरा राज्यों में सरकार के स्वामित्व वाले भण्डारण को बढ़ाना. इतना ही नहीं सरकार ने चावल के रिजर्व प्राइस को भी कम करके 31 रुपये से 29 रुपये कर दिया है.