Accident Policy: ईश्वर ना करे, लेकिन अगर आपके जीवन में कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो बहुत सारे मामले में टेंपरेरी डिसएबिलिटी (Disability) देखने को मिलती है. ऐसे में आप अपने दिनचर्या के काम कम से कम कुछ वक्त के लिए तो ठीक से नहीं कर पाएंगे. वहीं कुछ ऐसे भी मामले होते हैं जिसमें परमानेंट डिसएबिलिटी झेलनी पड़ जाती है. अगर दुर्भाग्यवश से भविष्य में ऐसा कुछ हो जाता है तो आप क्या करेंगे? आपके इलाज का खर्च तो आपके हेल्थ इंश्योरेंस (health insurance) से चुकाया जा सकेगा, लेकिन आपके दिनचर्या के खर्चों का क्या? आपकी सैलरी रुक जाने की वजह से जो रोज के खर्चे, हर महीने की ईएमआई, घर का किराया, बच्चों की फीस आदि के लिए पैसे नहीं रहते.
ऐसे में जरूरी है कि आप एक्सिडेंट पॉलिसी (Accident Policy) भी लें. इसके लिए आप चाहे तो लाइफ इंश्योरेंस (Insurance) या हेल्थ इंश्योरेंस, किसी पर भी राइडर ले सकते हैं. आइए जानते हैं आपको कौन-सी 5 चीजों को पॉलिसी (policy) में शामिल कराना चाहिए.
1- परमानेंट डिसएबिलिटी होने पर क्या?
आपके पास परमानेंट डिसएबिलिटी को लेकर पॉलिसी जरूर होनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर परमानेंट डिसएबिलिटी हो जाती है तो अधिकतर मामलों में आप पूरी जिंदगी फिर अपने परिवार का ध्यान रखने के लिए पैसे नहीं कमा पाते हैं. अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में परमानेंट डिसएबिलिटी को कवर नहीं किया जाता है. आप अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ परमानेंट डिसएबिलिटी का राइडर ले सकते हैं. इसके तहत आपको परमानेंट डिसएबिलिटी होने पर या तो हर महीने एक तय रकम मिलने का विकल्प मिलेगा या फिर आपको सारा क्लेम अमाउंट एक साथ दे दिया जाएगा.
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2- परमानेंट पार्शियल डिसएबिलिटी
इसके तहत अक्सर बड़ी दुर्घटना के बाद लोगों को कुछ परमानेंट पार्शियल डिसएबिलिटी हो जाती है. इसमें लोगों को हाथ, पैर, आंख, कान जैसी कोई डिसएबिलिटी हो सकती है. ऐसे में आप दुर्घटना के बाद पहले की तरह ही काम नहीं कर पाएंगे. यानी आप पहले की तरह पैसे नहीं कमा पाएंगे. तो अपनी पॉलिसी में इससे जुड़ा राइडर भी जरूर शामिल करवाएं, ताकि आपको कोई दिक्कत ना हो.
3- टेंपरेरी टोटल डिसएबिलिटी
इसके तहत कुछ समय के लिए आप पूरी तरह के डिसएबिलिटी का सामना करते हैं. जैसे अगर किसी का एक्सिडेंट हो जाए और वह कुछ महीनों तक बेड से उठ ही ना पाए तो इसे टेंपरेरी टोटल डिसएबिलिटी कहते हैं. ऐसे में आप कुछ महीनों तक अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पाएंगे. तो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरी करने के मकसद से टेंपरेरी टोटल डिसएबिलिटी के लिए भी पॉलिसी जरूर लें.
4- इलाज के दौरान डेली हॉस्पिटल कैश
आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में इलाज के दौरान होने वाले रोज के हॉस्पिटल से जुड़े खर्चों को भी शामिल कराना चाहिए. इसमें इलाज के दौरान ट्रांसपोर्टेशन, परिवार वालों के रहने की व्यवस्था और अन्य खर्चे भी शामिल होते हैं. इसके तहत अस्पताल में रहने के दौरान कुछ अतिरिक्त खर्चों की भरपाई की जा सकती है.
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5- लोन प्रोटेक्शन बेनेफिट लें
अधिकतर लोगों के ऊपर कुछ तरह के लोन भी होते हैं. कुछ लोगों पर होम लोन होता है तो कुछ पर कार लोन या कोई पर्सनल लोन. ऐसे में एक्सिडेंट (Accident Policy) से किसी भी तरह की डिसएबिलिटी होने पर आप अपने लोन की भरपाई करने में असमर्थ हो जाते हैं. वहीं इससे आपका घर और कार जैसे असेट भी खतरे में पड़ जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी पॉलिसी में लोन प्रोटेक्शन देने वाला राइडर फीचर जरूर शामिल कराएं, ताकि आपको दिक्कतें ना उठानी पड़ें.