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48 लाख लोग एक साथ मनाएंगे: बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव, भारत के मेजबानी में सिरिलंका के धम्म गुरु का होगा स्वागत

द भारत:- सम्राट अशोक क्लब भारत जो की एक राष्ट्र समर्पित संस्था है कल दिनांक 26-05-21 दिन मंगलवार को पुरे भारत में अपने लाखो कार्यकर्ताओ के साथ सोशल मिडिया का प्लेटफोर्म ज़ूम पर बुद्ध पूर्णिमा मानाने जा रही हैl साथ ही समस्त भारत के नागरिको से आह्वान करती है की बुद्ध पूर्णिमा को अपने अपने घर में जरुर मनाये

एक नजर : सम्मानित देशवासियों, आज से 2584 वर्ष पहले, 563 ई० पू० वैसाख मास की पूर्णिमा को रूम्मिनदेई (लुम्बिनी वन), नेपाल में गोतम (सिद्धार्थ) का जन्म हुआ था। गोतम (सिद्धार्थ) बचपन से ही दयालु तथा विजम प्रवृत्ति के थे। उनके पिता शुद्धोधन, साक्य गणराज्य के महाराजा थे। इस गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु थी जो आज नेपाल में स्थित माना जाता है।

उस समय भारत में 11 गणराज्य थे। इन गणराज्यों में जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि, राजा का चुनाव करते थे। 20 वर्ष की अवस्था में वोट देने का अधिकार होता था। संथागार (संसद भवन) में प्रस्तावों पर चर्चा हेतु बैठक हुआ करती थी। चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा विचार विमर्श कर निर्णय लेकर नीति बनाई जाती थी। प्रतिनिधियों के निर्णय को मानने के लिए, राजा तथा उनके सम्बंधी भी बाध्य होते थे।

गोतम की माँ महारानी रुम्मिनदेई (महामाया) थी। उनकी पत्नि का नाम कच्चाना / गोपा (यशोधरा) तथा पुत्र का नाम राहुल था। राहुल के जन्म के समय रोहिणी नदी के जल के बटवारे को लेकर साक्य गणराज्य व कोलिय गणराज्य में विवाद इतना गहरा हो गया कि साक्य परिषद ने कोलिय गणराज्य पर आक्रमण का प्रस्ताव पारित कर दिया साथ परिषद के इस प्रस्ताव का गोतम ने विरोध किया। साक्य परिषद के नियमानुसार सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव का विरोध करने वाले को इन तीन में से एक दण्ड स्वीकार करना पड़ता था। 1. सम्पत्ति की नीलामी, 2. देश निस्कासन, 3. मृत्युदण्ड l

गोतम ने देश निस्कासन को स्वीकार किया। इस प्रकार के आपसी कलह व जीवों के दुखों के कारणों का पता लगाने के लिए उन्होंने गृह त्याग किया। उस समय के विभिन्न गुरुओं द्वारा सुझाए गये, कठोर तप के बावजूद भी, ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ। उसके बाद स्वयं ही मध्यम मार्ग अपनाते हुए, विपस्सना के माध्यम से 35 वर्ष की आयु में, आज से 2549 वर्ष पहले, 528 ई०पू० वैसाख मास की पूर्णिमा को संबोधि प्राप्त किए और वे तथागत गौतम बुध के नाम से प्रसिद्ध हुए।

उसके बाद वे उस समय की भेदभाव वाली धार्मिक परम्पराओं को पूरी तरह से ध्वस्त करते हुए सभी वर्गों जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र यहां तक कि अछूतों, महिलाओं व वैश्याओं को भी धम्म का लाभ दिये, फलस्वरूप सभी प्रकार के लोग, दुखों से मुक्त होकर अर्हत होने लगे। इससे यह स्थापित कर दिये कि उस समय जितने भी भेदभाव पूर्ण नियम धर्म की रक्षा के नाम पर चल रहे थे, वे धर्म की रक्षा के लिए नहीं ये तथागत द्वारा स्थापित इस स्वतंत्रता का परिणाम हुआ कि समाज व देश चहुमुखी वैज्ञानिक, शैक्षणिक, कलात्मक, औद्योगिक व आर्थिक विकास के मार्ग पर दौड़ पड़ा।

इसके परिणामस्वरूप भारत सोने की चिड़िया तथा विश्वगुरु बन सका। भगवान बुध 45 वर्षों तक पूरे देश में पैदल चल कर अपने ज्ञान को वितरित करते हुए, प्राणी मात्र ही नहीं वरन् सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कल्याण तथा प्रकृति के पर्यावरण संरक्षण हेतु पूरा जीवन लगा दिये। उनकी शिक्षाओं की बदौलत ही भारत की बोली जाने वाली सर्वप्राचीन भाषा पालि भाषा तथा पढ़ी जाने वाली सर्वप्राचीन लिपी धम्म लिपी के कारण भारत की विश्व में साख स्थापित है। आज से 2504 वर्ष पहले 483 ई०पू० वैसाख मास की पूर्णिमा को शरीर त्याग कर महापरिनियान को प्राप्त किए।

विश्व को सर्वप्रथम सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले समता समानता के संस्थापक, प्रकृति धम्म के अन्वेषक, मानवता के सम्वाहक, महान दार्शनिक, महान वैज्ञानिक, महान चिकित्सक, महान पर्यावरणविद् महान तर्कशास्त्री, महान समाजशास्त्री, महान अर्थशास्त्री, संसार के सौ महापुरुषों में प्रथम स्थान रखने वाले अपने ज्ञान के आलोक से पूरे विश्व को आलोकित ‘भारत’ शब्द के शब्दार्थ को चरितार्थ करने वाले महाकारुणिक, भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने वाले महामानव, साक्यमुनि तथागत गौतम बुध को उनके 2584वें जन्म दिवस वैसाख पूर्णिमा के पावन पर्व पर शत् शत् नमन। भगवान बुध के इस त्रिविध पावनी पर्व, बुध पूर्णिमा को आज के इस महामारी के दौरान अपने अपने घरों में रहकर ही मनाएं।

सम्राट अशोक क्लब, इस पर्व को 26 मई 2021 दिन बुधवार, सायं 7 बजे वर्चुअल प्लेटफॉर्म जूम एप्प पर बृहद स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। आप सब अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर अपने देश की मूल संस्कृति की पुनः स्थापना तथा विकास में सहयोग करें। जो लोग कार्यक्रम में नहीं जुड़ पायें वे फेसबुक  http://www.facebook.com/sac563INDIA पर लाइव से देख सकते हैं।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भन्ते पी शिवली महाथेरा जी (अध्यक्ष, महाबोधि सोसाइटी भारत) तथा मुख्य प्रवक्ता के रूप में सचिदानंद मौर्य (राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्राट अशोक क्लब,भारत) मौजूद रहेंगेl 

प्रातः उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर भगवान बुध की प्रतिमा के समक्ष पंचसील दीप जलाएं, बुध जमन, त्रिसरण, पंचसील ग्रहण करें, विपस्सना करें व उपोसथ व्रत का पालन करें।

IIअतुल्य भारतII अखण्ड भारतII समृद्ध भारतIII श्रेष्ठ भारतIII जय भारत

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