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महागठबंधन में शामिल हुए Mukesh Sahni, अब RJD 26 की जगह 23 सीटो पर लड़ेगी चुनाव

मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) वीआईपी (Vip) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महागठबंधन में फिर शामिल हो गए हैं. आरजेडी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की गई. मुकेश सहनी को आरजेडी ने अपने कोटे से तीन सीटें दी हैं. अब आरजेडी 26 की जगह 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. VIP को नया चुनाव सिंबल लेडीज पर्स मिला है.

पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि मुकेश सहनी मेरे बड़े भाई हैं. उन्होंने बहुत मेहनत की. लोगों की समस्याओं को उठाने का प्रयास किया. जिस तरह से भाजपा ने उनके दल को तोड़ने की घोषणा की, उसे सब ने देखा. हम अपने कोटे से गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) सीट मुकेश सहनी को दे रहे हैं.

विधानसभा में भी रहेगा गठबंधन

तेजस्वी ने कहा, राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत और भविष्य के गठबंधन को लेकर मुकेश सहनी आए हैं. हम इनका स्वागत करते हैं. भाजपा ने इनके दल को तोड़ने का प्रयास किया. तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारा गठबंधन बिहार के विधानसभा के लिए भी है. विधानसभा के चुनाव में भी हम लोग इनका सम्मान करेंगे.

सहनी ने कहा-भाजपा ने हमारे विधायक खरीदे थे

मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) (Mukesh Sahni)ने कहा- ‘आपने देखा कि किस तरह से भाजपा ने हमारे विधायकों को खरीद लिया. हमारे सहयोग से सरकार बनाई और हमें ही बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद हम लोग गांव-गांव घूमे जनता के बीच गए. सहनी ने निषाद समाज को आरक्षण देने की बात कही.

मैं कर्पूरी और लालूजी के रास्तों पर चलने के लिए इंडी गठबंधन में आया हूं. हम लोग 40 की 40 सीटों जीतेंगे. ‘ मुकेश सहनी ने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार और स्वास्थ्य की बात करते हैं, लेकिन आज गरीब के पास रोजगार नहीं है. उनका इलाज नहीं हो पा रहा है.


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लालू की सहमति से एंट्री

बताया जाता है कि सहनी ने शुक्रवार को लालू यादव (lalu yadav) से मुलाकात की. दोनों में डेढ़ घंटे तक मीटिंग चली. इसके बाद महागठबंधन में शामिल होने पर सहमति बनी. मुकेश सहनी निषाद जाति से आते हैं. जातीय गणना में निषादों की आबादी 2.60 फीसदी है.

इसके पहले मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा थे. उन्हें तीन सीटें मिली थीं. मुकेश सहनी ने खगड़िया लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए थे. अन्य दोनों सीटें भी वो हार गए थे.

कई दिन से कोशिश कर रहे थे

दरअसल, सहनी कई दिनों से एनडीए या फिर महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे थे. सहनी सुबह लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे थे. बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव भी वहां मौजूद थे. जानकारी है कि मुकेश सहनी ने पूर्वी चंपारण और सुपौल की लोकसभा सीट की मांग की है.

सहनी वोट बैंक का है असर

बिहार के 7 लोकसभा सीट पर निषाद वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाती है. इसमें मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, उजियारपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा और सुपौल हैं. पूरे बिहार की हर लोकसभा में भी सहनी वोट बैंक है. यही वजह है कि इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे के बावजूद लालू यादव ने मुकेश सहनी से बातचीत की है.

कभी कहा था- राजद ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है

हालांकि, आरजेडी और वीआईपी का पूर्व में अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. 3 अक्टूबर 2020 में मुकेश सहनी आरजेडी दफ्तर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में ही छोड़कर चले गए थे. विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर तेजस्वी ने मुकेश सहनी की पार्टी को अलग से कोई सीट देने की घोषणा नहीं की थी, बल्कि कहा था कि वीआईपी राजद के कोटे वाली 144 सीटों पर ही हिस्सेदारी करेगी.

यह फैसला मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) को नागवार गुजरा और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया. बाहर निकलकर मुकेश सहनी ने कहा था कि वीआईपी अब महागठबंधन छोड़ रही है. राजद ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. हमें 25 सीटें और उप मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया गया था. ऐसा कुछ नहीं हुआ इसलिए अब वीआईपी महागठबंधन का हिस्सा नहीं रही.

मुकेश सहनी की VIP को मिला ‘लेडीज पर्स’, नया चुनाव चिन्ह आवंटित

इधर, मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) की पार्टी VIP (विकासशील इंसान पार्टी) को नया चुनाव चिन्ह मिला है. चुनाव आयोग ने लेडीज पर्स चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. पहले इस पार्टी का चुनाव चिन्ह नाव था.

चुनाव चिह्न आवंटन की प्रक्रिया

वीआईपी एक रजिस्टर्ड पार्टी है. रजिस्टर्ड पार्टी को चुनाव शुरू होने के छह महीने पहले इलेक्शन कमीशन के पास सिंबल एलॉटमेंट के लिए आवेदन देना होता है. क्योंकि, रजिस्टर्ड पार्टी का चुनाव चिन्ह बदलता रहता है. एक चुनाव सिंह सिर्फ दो साल के लिए अलॉट होता है.

राष्ट्रीय पार्टी और स्टेट लेवल पार्टी का चुनाव चिन्ह परमानेंट होता है. वीआईपी एक रजिस्टर्ड पार्टी है. इसलिए उसका पुराना चुनाव चिन्ह नाव किसी अन्य रजिस्टर्ड पार्टी ने अलॉट करा लिया है. इससे पहले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का भी चुनाव चिन्ह बदला था.

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