लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2024) हो या विधानसभा का चुनाव हो. भारत में कोई भी चुनाव लड़ने के लिए जरुरी दस्तावेजों के साथ जमानत राशि भी जमा करनी पड़ती है. जब चुनाव के नतीजे आते हैं तो ऐसे शब्द सुनाई देते हैं कि इनकी तो जमानत जब्त हो गई…. जमानत क्या होती है और कब जब्त होती है, आइए जानते हैं.
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भारत में, पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक, हर चुनाव में उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है, जिसे जमानत राशि कहा जाता है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल गंभीर और सक्षम उम्मीदवार ही चुनाव लड़ें, न कि फर्जी या गैर-गंभीर उम्मीदवार.
कितनी होती है जमानत राशि?
जमानत राशि चुनाव के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है. लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2024) में सामान्य वर्ग के लिए ₹25,000 और अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST): ₹12,500 होती है. विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के लिए ₹10,000 और SC और ST के लिए ₹5,000 होती हैं. वही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में सभी वर्गों के लिए ₹15,000 रुपए जमानत राशि होती हैं.
जमानत कब जब्त होती है?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 वां हिस्सा भी हासिल नहीं कर पाता है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है. उदाहरण के लिए, यदि किसी सीट पर 1 लाख वोट डाले गए हैं और 16,666 वोट से कम प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 5 है, तो उनकी जमानत जब्त कर ली जाएगी. यानी उनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी.
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किन स्थितियों में जमानत राशि वापस मिल जाती है?
- यदि उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 से अधिक वोट प्राप्त करता है.
- यदि उम्मीदवार जीत जाता है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों.
- यदि उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर दिया जाता है या वह नामांकन वापस ले लेता है.
- यदि वोटिंग शुरू होने से पहले उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है.