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काराकाट में पवन सिंह नही माने तो बीजेपी को कितना नुकसान, जाने क्या कहते हैं शाहबाद के समीकरण

भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह बिहार के काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसे लेकर भाजपा सांसद मनोज तिवारी का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पवन सिंह उनके छोटे भाई हैं और वे राष्ट्रवादी हैं, लेकिन रास्ता भटक गए हैं. वो उन्हें समझाएंगे. मनोज तिवारी के इसी बयान पर पवन सिंह ने जवाब दिया है.

पवन सिंह ने कहा कि मनोज तिवारी हमारे बड़े भाई हैं. मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन लंबे समय से उनसे बात नहीं हुई है. जहां तक राष्ट्रवादी होने की बात है, तो वो मेरे खून में है. राष्ट्रवादी मैं था, हूं और आजीवन रहूंगा.


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उन्होंने कहा कि यहां कि जनता हमारी मालिक है. सब उन्हीं के हाथ में है. इनका आदेश जो होगा, मैं करूंगा. बाकी बैक होने का काम न मैंने जीवन में कभी किया हैं, न ही कर पाउंगा. पवन सिंह ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला अपनी मां के कहने पर लिया है. अब यू-टर्न का सवाल नहीं है.

हालांकि उनकी बातों को ध्यान से समझा जाए तो एक तरफ कह रहे है कि जनता मालिक है, जैसा कहेगी वैसा करूंगा, वही दूसरी तरफ खुद स्टैन्ड क्लियर करते है कि कुछ भी हो जाए अब यू-टर्न का सवाल नहीं है. हालांकि उनके पहले बयान से ये साफ पता चलता हैं कि पवन सिंह मनोज तिवारी से मनाने वाले नहीं हैं वह भाजपा के किसी बड़े नेता के मनाने का इंतेजार कर रहे हैं. और इस तरह हुवा तो कभी भी काराकाट से यू-टर्न मार सकते हैं.

यदि पवन नही माने तो बीजेपी को कितना नुकसान

18 वीं लोकसभा चुनाव के 13 राज्यों के 88 सीटो पर आज दूसरे चरण के मतदान शुरू हैं. बिहार में भी आज 5 सीटो पर जनता मतदान कर रही हैं. वही सातवे चरण के मतदान में आरा, बक्सर, पटलीपुत्र, पटना साहिब, काराकाट, नालंदा सासारम, जहानाबाद लोकसभा सीट पर सबसे आखिर में मतदान होने हैं. इन सभी में एक दो छोड़कर सभी पर अलग अलग दल से राजपूत उम्मीदवार खड़े हैं.

पवन सिंह जीस क्षेत्र में अपना दावा पेश कर रहे हैं वह सीट काराकाट है. यही से भाजपा अलाइन्स में राष्ट्रीय लोक मोर्चा से उपेन्द्र कुशवाहा भी हैं. अब बात आती है कि पवन सिंह को यदि काराकाट की राजपूत बिरादरी जाति के नाम पर वोट करती हैं. तो क्या आरा में भाजपा उम्मीदवार आर.के सिंह को बनिया, ब्राह्मण, कुशवाहा वोट मिल पाएगा.

वही सोशल मीडिया पर इस बात ने काफी तूल पकड़ा हैं कि यदि काराकाट में उपेन्द्र कुशवाहा को छोड़कर राजपूत बिरादरी पवन सिंह को वोट करती हैं तो इसका सीधा असर आरा, बक्सर, औरंगाबाद सीट पर देखने को मिल सकता हैं. चुकी इन सीटो पर भी अन्य दलों से राजपूत उम्मीदवार खड़े हैं. इन सभी दाव पेच के बाद भी यदि पवन सिंह नहीं माने तो बिहार में भाजपा के जिन सीटों पर राजपूत या भूमिहार उमीदवार खड़े हैं उनका खेल बिगड़ सकता हैं.

काराकाट की जनता के सेवा के लिए आया हूं

पवन सिंह ने कहा कि काराकाट में फिल्म सिटी बनाना है. ताकि स्थानीय कला​कारों, गायकों को मौका मिल सके. उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा दिखा पाएंगे. लोगों को रोजगार मिल पाएगा. पवन सिंह ने कहा कि यह उनकी तीसरी पारी है. गायक, एक्टर के बाद अब काराकाट की जनता के सेवा के लिए आया हूं. जनता ही मालिक है.

पिछले चुनाव में किनके बीच थी टक्कर

काराकाट सीट पर अभी जेडीयू के महाबली सिंह सांसद हैं. उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को हराया था. महाबली सिंह को 3 लाख 98 हजार 408 वोट और उपेंद्र कुशवाहा को 3 लाख 13 हजार 866 वोट मिले थे.

वहीं, इससे पहले 2014 लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने यहां जीत दर्ज की थी. उन्हें 3 लाख 38 हजार 892 वोट मिले थे. उन्होंने आरजेडी के कांति सिंह को पराजित किया था. कांति सिंह को 2 लाख 33 हजार 651 वोट मिला था, जबकि, जदयू के महाबली सिंह को मात्र 76 हजार 709 वोट मिले थे.

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