द भारत: केंद्र सरकार ने रविवार को 13 राज्यों में गवर्नर और उप-राज्यपाल बदले हैं. शिवाजी पर बयान देकर विवादों में आए महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है.
उनकी जगह रमेश बैस महाराष्ट्र के गवर्नर बनाए गए हैं. वे अभी झारखंड के राज्यपाल थे. इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का गवर्नर बनाया गया है. रिटायरमेंट के 40 दिन बाद राज्यपाल बनाए गए जस्टिस नजीर राम मंदिर, ट्रिपल तलाक जैसे मामलों में फैसला दे चुकी बेंच में शामिल थे.
जिन 13 राज्यों में गवर्नर और उप-राज्यपाल बनाए गए हैं, उनमें से 9 में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
वह 6 नाम जिन्हे सीधा राज्यपाल बनाया गया है.
1. राज्यपाल राज्य
- लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक: अरुणाचल प्रदेश
- लक्ष्मण प्रसाद आचार्य: सिक्किम
- सीपी राधा कृष्णन: झारखंड
- गुलाब चंद कटारिया: असम
- शिव प्रताप शुक्ला: हिमाचल प्रदेश
- रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर: आंध्र प्रदेश
वो 7 नाम जिनका राज्य बदला गया: 1. रमेश बैस पहले झारखंड के राज्यपाल थे, अब महाराष्ट्र के बनाये गए है. 2. एलए गणेशन पहले मणिपुर के राज्यपाल थे अब नागालैंड के राज्यपाल बने है.3. फागू चौहान पहले बिहार के राज्यपाल थे अब मेघालय के बनाए गए है.
4. राजेंद्र विश्वनाथ पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे,अब बिहार के बनाए गए है. 5. विश्वा भूषण हरिचंदन पहले आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे,अब छत्तीसगढ़ के बनाए गए है. 6.अनुसुइया उइके छत्तीसगढ़ के राज्यपाल थे अब मणिपुर के बनाए गए है. 7. डॉ बीडी मिश्रा अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल थे अब लद्दाख के बनाए गए है.
9 चुनावी राज्यों के गर्वनर बदले गए: इसी साल देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. इनमें पूर्वोत्तर के चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वहीं, हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नवंबर में चुनाव होने हैं. दक्षिण के कर्नाटक और तेलंगाना में भी इसी साल चुनाव हैं. जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनाए गए लद्दाख में उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति की गई है.
9 राज्यों में चुनाव होने से पहले ही 13 राज्यों के गवर्नर बदले दिए गए. इस मामले में राजनीतज्ञों का मानना हैं कि जिन राज्यों में इन दिनों चुनाव होने है अधिकतर उन राज्यों में भाजपा ने अपने ही कार्यकर्ता नेता को राजयपाल बना कर भेजा हैं. असली मायने में कहा जाये तो भाजपा का यह राजनितिक स्टंट हो सकता हैं. और शयद यह भारतीय जनता पार्टी की “ऑपरेशन लोटस” के तहत हों.