आज सावित्री बाई फुले की पुण्य तिथि (Savitribai Phule Death Anniversary) है.दुनिया की सबसे ताकतवर चीजों में से एक है शिक्षा, जी हां शिक्षा ये एकमात्र ऐसा हथियार है, जिससे हम अपना व्यक्तिगत विकास के साथ साथ राष्ट्र विकास भी कर सकते. वैसे तो हमारे देश में पुरुषों को ही शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति दी जाती थी,लेकिन सभी पुराने जंजीरों को तोड़ते हुए महिलों को शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज के सामने एक आदर्श व्यक्तित्व आया वो है हमारे देश की सबसे पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले. आज उनके पुण्यतिथि पर हम उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे है, आइए जानते है…..
1897 में बेटे यशवंत राव के साथ मिलकर प्लेग के मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल खोला था. उन्होंने 28 जनवरी 1853 को गर्भवती बलात्कार पीडितों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की. सावित्रीबाई ने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया. प्लेग के मरीजों की देखभाल करते हुए वो खुद भी इसकी शिकार हुईं और 10 मार्च 1897 को उनका निधन हुआ.
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सावित्रीबाई फुले ने सामाजिक भेदभाव और कई रुकावटों के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाकी महिलाओं को भी शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला अध्यापिका और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता कहा जाता है.
सावित्रीबाई ने समाज में प्रचलित
उन्होंने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योति राव फुले के साथ मिलकर लड़ कियों के लिए 18 स्कूल खोले थे. पहला स्कूल 1848 में पुणे बालिका विद्या लय खोला था. सावित्रीबाई (Savitribai Phule Death Anniversary) ने समाज में प्रचलित ऐसी कुप्र थाओं का विरोध किया जो खासतौर से महिलाओं के विरूद्ध थी. उन्होंने सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध के खिलाफ आवाज उठाई और जीवनपर्यंत उसी के लिए लड़ती रहीं. उ न्होंने एक विधवा ब्रा ह्मण महिला को आत्महत्या करने से रोका और उसके नवजात बेटे को गोद लिया. उसका नाम यशवंत राव रखा. और उसे भी पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा डॉक्टर बनाया.