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Bihar Teacher : बिहार में 16 साल तक गुरुजी ने की मौज, अब पता चला ‘साहब’ तो फर्जी शिक्षक हैं!

बिहार के सीतामढ़ी जिले में एक बार फिर दो अवैध शिक्षकों (Bihar Teacher) का पता चला है. दोनों करीब 16 वर्षों से फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर शिक्षक की नौकरी कर रहे थे. जांच में सब कुछ खुलासा हो गया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर निगरानी विभाग के वरीय डीएसपी सह जांच पदाधिकारी कन्हैया लाल ने बथनाहा और बेलसंड थाना को उक्त दोनों अवैध बहाल शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया है.

जांच में प्रशिक्षण प्रमाण पत्र फर्जी

दोनों शिक्षकों के शिक्षक प्रशिक्षण (Bihar Teacher) के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए हैं. खास बात यह कि इन दोनों ने एक ही संस्थान (गुवाहाटी) के फर्जी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर नौकरी हासिल कर ली थी. संस्थान ने निगरानी डीएसपी को रिपोर्ट किया है कि इन दोनों के प्रमाण-पत्र उनके अधीन किसी भी संस्थान से निर्गत नहीं है. यानी जो प्रमाण पत्र नियोजन के दौरान दिए गए थे, वो फर्जी हैं. इन शिक्षकों में मध्य विद्यालय हरनहिया, जलसी के शिक्षक सुशील कुमार और प्राथमिक विद्यालय, भडवारी डोम टोला, चंदौली के सुबोध कुमार हैं.


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क्षमादान के तहत त्याग पत्र नहीं

निगरानी डीएसपी के आवेदन के अनुसार, शिक्षक सुशील कुमार द्वारा छह मार्च 24 को त्याग पत्र दिया गया. हालांकि डीएसपी ने पुलिस को जानकारी दी है कि हाईकोर्ट के स्तर पारित आदेश के आलोक में क्षमादान के तहत त्याग-पत्र नहीं दिया गया है. पूर्व शिक्षक सुशील कुमार रीगा प्रखंड के रेवासी गांव के स्व. चंदेश्वर ठाकुर का पुत्र है. इधर, सुबोध कुमार द्वारा भी क्षमादान के अंतर्गत पद से त्याग पत्र नहीं दिया गया है. वह महिंदवारा थाना क्षेत्र के नेउरी गांव के राधेश्याम ठाकुर का पुत्र है. दोनों का नियोजन वर्ष 2008 में हुआ था. यानी 16 वर्षों बाद अवैध बहाली का पता चला है.

पूर्व इनकी नियुक्ति का खुलासा

गौरतलब है कि मिडिल स्कूल, तुरकौलिया के शिक्षक रामविलास पंडित के भी अवैध बहाली का खुलासा हुआ था. इसी तरह मध्य विद्यालय, नरहा की शिक्षिका सुनीला सिन्हा, मध्य विद्यालय, सिरसिया के शिक्षक राम पुकार राय और पूनम कुमारी भी अवैध रूप से नौकरी कर रही थी. सहियारा थाना क्षेत्र के बदुरी गांव के राजेश कुमार मध्य विद्यालय, महुआवा में ही अवैध शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. सभी पांच शिक्षक और शिक्षिका करीब 16 से 18 वर्षो से अवैध रूप से नौकरी कर रहे थे. रामविलास, सुनिला और राजेश वर्ष 2008 में नियोजित हुए थे, तो शेष दो 2008 में नौकरी हासिल किए थे.

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