द भारत :-बक्सर कि हम बात करें तो बक्सर अपने आप में एक जिला है और इसमें लगभग 31पंचायत तथा 256 बूथों की संख्या है इसमें कुल जो चुनाव हुए हैं वह 16 है इनमें से 15 मुख्य चुनाव तथा एक उपचुनाव भी शामिल है अगर हम बात करें बक्सर विधानसभा से किस किस पार्टी को कितने बार जीत मिली है तो सबसे अधिक बार कांग्रेस बक्सर विधानसभा से 9 बार जीत प्राप्त कर चुकी हूं वहीं बीजेपी तीन बार सीपीएम, दो बार बीएसपी, एक बार एसएसपी लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है बिहार के जो दो प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां हैं आरजेडी तथा जदयू यहां से एक भी बार चुनाव नहीं जीत पाई है यह बहुत बड़ी बात है।
बक्सर विधानसभा की जो परिसीमन क्षेत्र है उत्तर में वीर कुंवर सिंह सेतु से लेकर दक्षिण में एकडेढवा गांव तक तथा पूरब में भैसहा पुल से पश्चिम में चौसा तक पहुंच पड़ता है। यहां कुल वोटरों की संख्या 280912 तथा इस में महिलाओं की संख्या 131361 और केवल 6 थर्ड जेंडर मतदान करते हैं तथा इस साल 1 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची के अनुसार नए वोटरों की संख्या 2331 बढ़ चुकी है।
अब हम बात करते हैं 1990 में सीपीएम की कैंडिडेट से मंजू प्रकाश टिकट लेकर जीत हासिल की जिनको कुल 19522 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस के जगनारायण त्रिवेदी को हराकर सामने आई तथा फिर 1995 में भी 41757 वोट पाकर बीजेपी कैंडिडेट अजय चौबे को हरा कर सामने आई अब हम इनके कार्यकाल के बारे में चर्चा करते हैं दो बार विधायक रह चुकी मंजू प्रकाश के कार्यकाल में बक्सर विधानसभा क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं उनको देखते हैं इनके कार्यकाल में ज्योति प्रकाश मार्केट ज्योति प्रकाश लाइब्रेरी तथा ज्योति प्रकाश मार्ग के अलावा गांव गांव में सड़क नाली तथा गली का काम हुआ।
सबसे बड़ा काम इन्होंने अपने शासनकाल में बक्सर को बक्सर जिला की स्थापना में इनकी अहम भूमिका रही। लेकिन इनको जिताने वाले लोग ना खुश हो गए क्योंकि यह आगे चलकर फार्वड की राजनीति करने लगी इस कारण इनकी जनता इनसे रूठ होकर इनका साथ छोड़ दी।
2000 में सुखदा पांडे ने 27151 वोट पाकर मंजू प्रकाश को हराया और दूसरी बार 2005 में सुखदा पांडे ने हृदय नारायण को हराया लेकिन कुछ दिनों के बाद बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया उसके बाद 2005 में पुनः चुनाव हुए जिसमें पूरी तरीका से पाला पलट गया इस बार हिरदे नारायण विजय रहे और सुखदा पांडेय हार चुकी थी। इनके कार्यो की चर्चा करें तो उनके शासनकाल में बहुत सारे योजनाओं का तो शिलान्यास हुआ लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखाई।
इन के शासनकाल में रामरेखा घाट में विवाह मंडप किला मैदान का घेराव तथा जब वह बिहार सरकार में कला मंत्री रही तो एक बक्सर में कला भवन का निर्माण किया गया लेकिन कला के क्षेत्र में आज भी हमारा बिहार सबसे पिछड़ा हुआ है। इनके भी शासनकाल में अनेक जगहों पर सड़क नाली गली का कार्य हुआ।
2005 में बीएसपी से टिकट लेकर हृदय नारायण सुखदा पांडे को हराकर के विधायक बने और इनका जो प्रमुख कार्य रहा चौसा नहर पुल जो बंद हो चुका था उसको खुलवाने का कार्य किए तथा महिलाओं के लिए एक अलग केके मंडल महिला कॉलेज की स्थापना की उसके नाम पर 3 बीघा जमीन मादा में भी स्थित है।
इनके शासनकाल में भी गांव में सड़क गली गली का निर्माण हुआ।
2015 में कांग्रेस के टिकट लेकर संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी 66527 वोट पाकर बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप दुबे को हराकर विधायक बने।
इन के शासनकाल में कुछ खास नहीं हुआ है अभी तक जिसकी चर्चा हम लोग करें सबसे ज्यादा रूस्ट इनसे ओबीसी एससी एसटी के लोग हैं क्योंकि जीतने के बाद 5 सालों में कभी भी अपनी जनता के बीच नहीं गए जोहल अश्वनी चौबे का है वही हाल विधायक के रुप में संजय तिवारी का है।
आम जनता से पूछना चाहते हैं की क्या सही में सारे जो विधायक आए हैं सड़क नाली तथा गली पर कार्य किया है या नहीं अगर किए होते तो आज के डेट में भी बहुत सारे गांव हैं जहां सही ढंग से जल निकासी नहीं है गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है।
चुनाव के दौरान सारे पार्टियों के नेता लंबी चौड़ी लिस्ट बनाकर जनता के बीच आते हैं लेकिन जीतने के बाद अपने ही वादे से मुकर जाते हैं और इस कारण हमारा बक्सर विधान सभा विकास से बहुत दूर खड़ा एक उजाले की आस में जी रहा है अब हमें देखना है कौन ऐसे लोग हैं जो बक्सर के विकास बक्सर की जनता के विकास को सही मायने में करके दिखाते हैं।
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