बीबीसी की रिपोर्ट
द भारत:- यूं तो भारत में 15 अगस्त पर तिरंगा फहराने का चलन नया नहीं है. लेकिन इस साल बात बिल्कुल अलग थी. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ास तौर पर जनता से 13 -15 अगस्त के बीच झंडा लगाने की अपील की थी.
भारत के संस्कृति मंत्रालय ने दूसरे मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसके लिए ख़ास व्यवस्था भी की थी. इस अभियान को ‘हर घर तिरंगा’ का नाम दिया गया. इसमें 20-25 करोड़ झंडा लगाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया था.
सरकार की दलील थी कि राष्ट्रीय ध्वज के साथ भारत के नागरिकों का व्यक्तिगत से ज़्यादा औपचारिक और संस्थागत रिश्ता है.
भारत सरकार को लगता है कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के बाद ये संबंध ज़्यादा व्यक्तिगत हो सकेगा. दोनों के बीच इस अभियान के साथ नागरिकों का तिरंगे के साथ रिश्ता और गहरा होगा. नागरिकों में देशभक्ति की भावना इससे और प्रबल होगी. इस वजह से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में भारतवासियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा भी लिया.
कितने लोगों ने लगाया झंडा: इस अभियान को हाइब्रिड मोड में मनाया गया. यानी कहीं लोगों ने डिजिटल झंडा लगा कर वेबसाइट पर सेल्फ़ी अपलोड की और कहीं लोगों ने झंडे को अपने घर, दफ़्तर या गाड़ी पर लगाया.
संस्कृति मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ मंगलवार दोपहर 12 बजे तक 6 करोड़ लोगों ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत झंडे के साथ अपनी सेल्फ़ी अपलोड की थी.
हालांकि अपने घर, दुकान, गाड़ी और दफ़्तर में कितने लोगों ने झंडा लगाया, इसके आंकड़े मंगलवार सुबह तक संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी नहीं जुटा पाए थे.
लेकिन जिस हिसाब से इस अभियान का प्रचार-प्रसार किया गया था, फ़िज़िकल मोड में झंडा लगाने वालों की संख्या भी करोड़ों में ही होगी. इस अनुमान को बल व्यापारी संगठन की तरफ़ से जारी आंकड़ों से मिलता है.
कंफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक़, इस साल 15 अगस्त के मौके पर देश भर में व्यापारियों ने अलग-अलग साइज़ के 30 करोड़ झंडे बेचे. झंडे का कुल व्यापार लगभग 500 करोड़ का हुआ.
ज़ाहिर है इतनी बड़ी मात्रा में झंडों की बिक्री हुई है तो उन्हें सहेज कर रखना भी उतनी ही बड़ी ज़िम्मेदारी है. तिरंगा भारतीयों की आन-बान-शान का प्रतीक है. इस वजह से जनता सवाल पूछ रही है कि 15 अगस्त के बाद इन झंडों का क्या करना है?
क्या हैं नियम: लेकिन ऐसा नहीं है कि झंडा जमा करने वालों के पास ही जाने का विकल्प जनता के पास मौजूद है. आम जनता अपने स्तर पर भी झंडे का ख़्याल रख सकती है और नष्ट कर सकती है.
इंडियन फ़्लैग फ़ाउंडेशन के सीईओ असीम कोहली का कहना है कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के बारे में काफ़ी भ्रांतियां फैली हुई हैं.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, “लोगों के मन में ग़लत धारणा है कि झंडा केवल 13 से 15 अगस्त के बीच ही लगाना था. केंद्र या राज्य सरकार की तरफ़ से ये कभी नहीं कहा गया कि 15 अगस्त के बाद झंडा उतार लें. सबसे पहले तो जनता को ये बात समझनी है.”
वो आगे कहते हैं कि ”भारत में साल के 365 दिन घर, दफ़्तर या किसी सार्वजनिक जगह पर झंडा लगाने की आम जनता को इज़ाज़त है. सुप्रीम कोर्ट के 2004 के फ़ैसले के बाद ये संभव हो पाया है. इस वजह से 15 अगस्त के बाद घरों से झंडा उतारना अनिवार्य नहीं है. आप उसे यथास्थान लगे रहने दे सकते हैं.”
लेकिन अगर झंडा हवा की वजह से कट-फट गया हो या फिर किसी कारण गंदा हो गया हो – तो फ़्लैग कोड 2022 ( भारतीय झंडा संहिता) के मुताबिक़ इसे नष्ट किया जा सकता है. भारतीय झंडा संहिता 2002 में बनी थी जिसमें 2021 में कुछ बदलाव किया गया.
फ़्लैग कोड के तहत झंडा अगर फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए. बेहतर होगा कि उसे जला कर या मर्यादा के अनूकुल नष्ट कर दिया जाए. ये सम्मानित या मर्यादित तरीका क्या होगा इस बारे में फ़्लैग कोड में विस्तार से नहीं लिखा है.
लेकिन इस सवाल के जवाब में असीम घोष कहते हैं, “कुछ लोगों के लिए सम्मानित तरीका दफ़नाना हो सकता है, कुछ लोगों के लिए गंगा में बहाना हो सकता है, कुछ लोगों के लिए सम्मानित तरीका जलाना भी हो सकता है. आप इनमें से किसी भी तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन एकांत में करें और उसका वीडियो कभी ना बनाएं. ये एहतियात बरतना इसलिए ज़रूरी है ताकि बाद में इस वीडियो का इस्तेमाल ग़लत ढंग से ना हो सके.”
इस वजह से असीम घोष कहते हैं कि ”आप ये काम अपने घर पर ही कर सकते हैं. झंडा जमा करने वालों की आपको ज़रूरत नहीं पड़ेगी.”