द भारत:- बिहार में पदयात्रा की राजनीति शुरू हो गई। तेजप्रताप यादव ने जब अपना नया संगठन छात्र जनशक्ति परिषद बनाया था तो गांधी मैदान से जेपी के पटना स्थित आवास तक खाली पैर पदयात्रा की थी. अभी कुछ दिन पहले विभिन्न पार्टियों के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने का कि वे दो अक्तूबर से बिहार के पश्चिमी चंपारण से 3,000 किलोमीटर की ‘पदयात्रा’ करेंगे.
उन्होंने कहा कि जन सुराज के लिए गांव-देहात जाएंगे और एक-एक लोग से संपर्क करेंगे. अब तेजस्वी यादव ने भी पदयात्रा करने का ऐलान किया है. यानी वे लगभग एक हजार कि.मी की पदयात्रा करेंगे. तेजस्वी जाति जनगणना करवाने की मांग को लेकर यह यात्रा करेंगे.
ताकि सभी का एक समान विकास हो सके: अब तक राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव केन्द्र सरकार को इस मांग के साथ घेरते रहे कि जाति जनगणना करायी जाए ताकि सभी जातियों की सही आबादी का पता चल सके और उसी अनुरुप योजनाएं बन सके, समावेशी विकास हो सके.
उसी अनुरुप आरक्षण मिल सके. जब केन्द्र ने मांग अनसुनी कर दी तो तेजस्वी ने बिहार सरकार से अपने खर्च पर जाति जनगणना कराने की मांग की. इसको लेकर सर्वदलीय बैठक करने की बात कही गई पर वह भी नहीं हुई. अब तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सड़क पर उतरना ही होगा और वे बिहार से दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे.
अब कोई रास्ता नहीं रह गया है: तेजस्वी यादव ने कहा है कि ‘जति जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री से भी हमलोग मिल चुके हैं. इससे पहले बिहार विधान सभा और विधान परिषद से यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो चुका है फिर भी सरकार जाति जनगणना नहीं करवा रही.’ उन्होंने कहा कि ‘अब एक ही चारा नजर आ रहा है कि सड़क पर उतरना पड़ेगा और बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा करनी पड़ेगी.
प्रशांत किशोर के बाद तेजस्वी की घोषणा: सच कहें तो तेजस्वी यादवी यादव खुद को राजकुमार की छवि से बाहर निकालना चाहते हैं. जनता के लिए सड़क पर आंदोलन करने, अनशन करने, शासन- प्रशासन-पुलिस से लड़ने-भि़ड़ने वाले नेता की छवि उनकी नहीं है. अब जब प्रशांत किशोर ने पं. चंपारण से तीन हजार किमी. पदयात्रा करने की बात कही तो उसके बाद तेजस्वी ने भी एक हजार किमी पदयात्रा की बात क दी.