होमपटनाFacebook पर रील्स और Netflix पर वेब सीरीज देखते है तो सावधान:...

Facebook पर रील्स और Netflix पर वेब सीरीज देखते है तो सावधान: अंधेरे में स्मार्टफोन देखने से छिन सकती है आंखों की रोशनी

द भारत: दो दिन पहले ट्विटर पर हैदराबाद के एक डॉक्टर का ट्वीट पढ़ा. डॉक्टर ने स्मार्टफोन की वजह से एक महिला के आंखों की रोशनी जाने की डिटेल दी थी. सारी बातें पढ़ने के बाद ऐसा लगा कि ऐसा ताे ज्यादातर लोग करते हैं. हो सकता है कि आप भी उन ज्यादातर लोगों में से एक हों इसलिए पूरा मामला सबसे पहले पढ़ें…

एक 30 साल की महिला मंजू की आंखों के साथ कुछ अजीब हो रहा था. उसे आंखों के सामने डार्क जिग-जैग लाइन दिख रही थी. दिनभर में 1-2 सेकेंड के लिए बिल्कुल ही दिखाई देना बंद हो जाता था.

रात में अगर उठकर लाइट ऑन करती थी तो एक या दो मिनट के लिए कुछ दिखाई नहीं देता था. कुछ महीनों बाद ये सिम्टम्स बढ़ गए. मंजू आंखों के डॉक्टर के पास गई. चेकअप के बाद पता चला कि उनकी आंखें बिल्कुल ठीक हैं. उसे न्यूरोलॉजिस्ट यानी ब्रेन और नर्वस सिस्टम के डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी गई. वहां हुए टेस्ट में भी सब कुछ नॉर्मल ही आया. इसके बाद मंजू से उनके डेली रूटीन के बारे में पूछा गया.

इस पर उसने बताया कि उनका बच्चा स्पेशली एबल्ड है. उसका ख्याल रखने के लिए ब्यूटीशियन की नौकरी छोड़नी पड़ी. अब घर पर उनके पास काफी खाली समय होता है, तो वो दिन में 7 से 8 घंटे फोन पर बिताती हैं. इसके अलावा वो रात में भी लाइट बंद कर लगभग दो घंटे तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती हैं. इसके बाद डॉक्टर ने मंजू को फोन से दूरी बनाने को कहा एक महीने ऐसा करने के बाद उसके विजन में सुधार आया.

मंजू को आखिर हुआ क्या था, स्मार्टफोन से दूरी बनाने पर उन्होंने क्या बदलाव महसूस किए, आंखों को किस तरह स्मार्टफोन नुकसान पहुंचा रहा है और इससे कैसे बचा जाए यह हमें जानना था.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट: हमने सीधे मंजू का इलाज करने वाले डॉ. सुधीर कुमार को कॉल किया, जो हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट हैं. इसके साथ शार्प साइट आई हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. कामरान अकील और एम्स के आई स्पेशलिस्ट डॉ. राजेश सिन्हा से डिटेल समझी.

सवाल: मंजू को जो बीमारी हुई, क्या उसका कोई नाम भी है?
जवाब: हां बिल्कुल. मंजू को हुई बीमारी या यूं कहें सिंड्रोम को स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम कहा जाता है.

सवाल: यह बीमारी कितनी कॉमन है और किन लोगों को इसका ज्यादा रिस्क रहता है?
जवाब: यह काफी कॉमन सिंड्रोम है क्योंकि आजकल पढ़ाई से लेकर ऑफिस के काम तक सब कुछ फोन, लैपटॉप या कम्यूटर के जरिए होता है. यह किसी को भी हो सकता है. इसमें उम्र का कोई संबंध नहीं है. एक रिसर्च में पाया गया है कि महिलाओं को स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम ज्यादा होता है.
ज्यादातर मामलों में इसके सिम्टम्स माइल्ड होते हैं. सालभर में 1 या 2 ही गंभीर मामले सामने आते हैं.

सवाल: आजकल हर काम स्मार्टफोन या लैपटॉप से ही होता है। ऐसे में इस सिंड्रोम से कैसे बचा जा सकता है?
जवाब: स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स…

20-20-20 रूल फॉलो करें. 20 मिनट लगातार स्क्रीन का इस्तेमाल करने के बाद ब्रेक लें. इसके बाद 20 सेकेंड के लिए 20 फीट की दूरी पर देखें. जहां स्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं वहां अच्छी लाइटिंग होनी चाहिए. अंधेरे में स्मार्टफोन यूज करने से बचें. डॉक्टर को समय-समय पर आंख दिखाते रहें. अगर चश्मा पहनते हैं तो एंटी-ग्लेयर चश्मा इस्तेमाल करें. अगर लंबे समय के लिए स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं तो ब्लू लाइट कम करने वाला चश्मा पहनें.

सवाल: स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों को और क्या-क्या नुकसान हो सकता है?
जवाब: स्मार्टफोन या स्क्रीन के ओवरयूज से आंख से जुड़ी कई तरह की परेशानी हो सकती हैं, जैसे…

आई स्ट्रैन
नियर साइटिडनेस या शॉर्ट साइटिडनेस
फार साइटिडनेस
ड्राईनेस ऑफ आई
ब्लर यानी धुंधलापन

सवाल: ये शॉर्ट साइटिडनेस और फार साइटिडनेस क्या होता है?
जवाब: आंखों का कमजोर होना दो तरह से बताया जा सकता है…

शॉर्ट साइटिडनेस: इसे मायोपिया भी कहा जाता है. इसमें पास की चीजें तो साफ नजर आती हैं मगर दूर की चीजें ब्लर या धुंधली दिखने लगती हैं.

फार साइटिडनेस: इसमें करीब की चीजें साफ दिखती हैं मगर दूर की चीजें ब्लर या धुंधली दिखती हैं. इसमें आंख की फोकस करने की क्षमता पर असर पड़ता है.

सवाल: आंखों को हेल्दी रखने के लिए खानपान का किस तरह ख्याल रखना चाहिए?
जवाब: आंखों की हेल्थ के लिए ऐसा खानपान होगा बेहतर…

विटामिन ए से भरपूर चीजें जैसे अरबी खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.आंवला भी आंखों के लिए अच्छा है. इसमें विटामिन-सी, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस आदी पाएं जाते हैं. बादाम में मौजूद न्यूट्रीएंट्स आंखों के लिए अच्छे होते हैं.
मछली में मौजूद ओमैगा-3 फैटी एसिड आई हेल्थ के लिए अच्छा ऑप्शन है. गाजर में विटामिन-ए और बीटा प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

पत्तेदार सब्जियों में विटामिन-सी होता है.यह आंखों को होने वाले नुकसान से बचाता है. इनमें फोलेट भी होता है जो विजन लॉस को कम करता है. नट्स का मतलब है अखरोट, काजू, मूंगफली आदि. इनमें ओमेगा-3 और विटामिन ई पाया जाता है. विटामिन-ई आंसुओं के प्रोडक्शन को बेहतर करता है. सीड्स जैसे चिया और अलसी के बीजों में ओमेगा-3 पाया जाता है. जो आंखों के अलावा हार्ट के लिए भी फायदेमंद होता है. फलिया में फाइबर, प्रोटीन, फोलेट और जिंक होता है. जिंक में मेलानिन होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है.

सवाल: क्या स्मार्टफोन या स्क्रीन के लंबे इस्तेमाल से ड्राईनेस ऑफ आई की समस्या भी हो सकती है?
जवाब: जब हम मोबाइल या लैपटॉप का ज्यादा यूज करते हैं और एक टक उसमें नजर गढ़ाए रहते हैं. तब आंखों पर काफी जोर पड़ता है. इसकी वजह से आंखों का पानी, जो आंसू के तौर पर बाहर आता है, वह सूखने लगता है. आंखों के रेटिना पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है और ड्राई आई की समस्या होती है.

सवाल: ड्राई आई के सिम्टम्स क्या हैं?
जवाब: ड्राई आई के ये हैं सिम्टम्स…

आंखों को बार-बार झपकाना, आंखें लाल हो जाना, लगातार या ज्यादा देर तक आंख मलना, आंखों के आसपास जलन होना, आंखों में चुभन महसूस होना, रोशनी से दूर हटना, कई बार अचानक धुंधला दिखाई देना, थोड़ा काम करने पर ही आंखों में थकान महसूस होना.

सवाल: आंखों के ड्राई होने से क्या नुकसान है?
जवाब: ड्राई आई सिंड्रोम से होते हैं ये नुकसान…

इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. आंखों की सतह पर सूजन आ जाती है. आंखों में खुजली, जलन और पढ़ने में तकलीफ हो जाती है. इससे आंखों में दर्द भी हो सकता है. कई बार आंखें लाल भी हो जाती हैं. आंखों में गंदगी जमा हो जाती है और आंखों के आसपास म्यूकस जमा हो जाता है. आंखें भारी-भारी लगने लगती हैं. दृष्टि धुंधली पड़ जाती है.

सवाल: आंखें ड्राई हो जाए तो क्या करना चाहिए?
जवाब: अगर आंखें ड्राई हो गई हैं तो अपनाएं ये टिप्स…

अगर मोबाइल या कम्प्यूटर पर काम या पढ़ाई करते हैं, तो थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लेते रहें.
घर पर खाली वक्त में मोबाइल फोन या टीवी देखने की बजाए किताब पढ़े, म्यूजिक सुनें या दूसरी किसी हॉबी में मन लगाएं. आंखों में जलन पैदा करने वाले धुएं या दूसरे चीजों से बचें………………
ड्राई आई की समस्या वाले लोगों के सामने सिगरेट पीना उसकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता हए.
बाहर जाते वक्त धूप वाला चश्मा पहनें. टोपी या छतरी का भी इस्तेमाल करें ताकि आंखों को धूप या गंदगी से बचाया जा सके. बिस्तर के आसपास एक ह्यूमिडिफायर रखें और उसकी सफाई करते रहें. ये आंखों की नमी बढ़ाने में मदद करेगा.
सोते हुए पंखा चालू न करें.

डॉक्टर की दी हुई दवाइयां समय पर लेना न भूलें. अगर किसी दवा से दिक्कत हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. रोज सुबह लगभग 5 मिनट के लिए अपनी पलकों पर एक गर्म या नम कपड़ा रखें. फिर पलकों की हल्की सी मालिश करें. यह आंखों की नेचुरल नमी को बढ़ाने में मदद करता है.

अगर आंखों में ज्यादा समस्या है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. घरेलू उपाय न अपनाएं.

सवाल: ड्राईनेस ऑफ आई से बचने के लिए क्या करें?
जवाब: इन 7 बातों का ख्याल रखें-

कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के लेवल से थोड़ा नीचे 20 इंच की दूरी में या अपने हाथ की लंबाई जितना दूर रखें.
पहले से नजर कमजोर है, तो कंप्यूटर या मोबाइल के इस्तेमाल के समय चश्मा जरूर लगाएं.
स्क्रीन देखते वक्त पलकें झपकाना न भूलें. इससे सूखेपन और धुंधलेपन की समस्या से बच सकते हैं.
स्क्रीन और आसपास में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए. गैजेट की ब्राइटनेस को भी मेंटेन करें ताकि यह बहुत कम या बहुत तेज ना हो.

आंखों को थकान होने पर रगड़ने से बचें. क्योंकि इससे आंखों में संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है.
मोबाइल/कंप्यूटर पर फॉन्ट साइज बड़ा रखें. क्लीयर फॉन्ट का इस्तेमाल करें. पर्याप्त नींद लें और अच्छी मात्रा में पानी पिएं. क्योंकि कम पानी पीने से आंखों में सूखेपन के लक्षण बढ़ सकते हैं.

The Bharat
The Bharat
The Bharat एक न्यूज़ एजेंसी है. ईसका उद्देश्य "पक्ष या विपक्ष नहीं बल्कि "निष्पक्ष" रुप से तथ्यों को लिखना तथा अपने पाठकों तक सही व सत्य खबर पहुंचाना है. मीडिया को हृदय की गहराइयों से निष्पक्ष बनाए रखने एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में "The Bharat" एक प्रयास है.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Latest News