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Basmati Rice Price: बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य से किसानों पर पड़ेगा असर, हफ्ते भर में कीमत 400 रुपये प्रति क्विंटल गिरी

Basmati Rice Price: केंद्र सरकार के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) 1,200 डॉलर प्रति टन तय करने के फैसले के बाद हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को प्रति एकड़ नई बासमती चावल की फसल में 8,000-10,000 रुपये का नुकसान हो रहा है. निर्यातकों ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) यदि 850 डॉलर प्रति टन से अधिक होगा तो उन्हें व्यापार का नुकसान होगा, जो किसानों को मिलने वाली कीमत को प्रभावित करेगा. इस बीच बासमती चावल की नई फसल जिसे 1509 किस्म भी कहा जाता है, उसकी कीमतों में पिछले सप्ताह 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है.

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सरकार न्यूनतम निर्यात मूल्य वापस ले लेती है तो उन्हें अच्छा मुनाफा होगा

बासमती चावल उगाने वाले हरियाणा के करनाल के किसान और किसान कल्याण क्लब के अध्यक्ष विजय कपूर ने कहा कि मिलर्स और निर्यातक किसानों पर नई फसल कम कीमत पर बेचने का दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि अगर सरकार 15 अक्टूबर के बाद न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) वापस ले लेती है तो उन्हें अच्छा मुनाफा होगा. उन्होंने कहा कि पंजाब के मिलर्स भी इस कीमत पर हरियाणा से बासमती चावल की 1509 किस्मे खरीद रहे हैं.

बासमती चावल के कुल 1.7 मिलियन हेक्टेयर रकबे में से 1509 किस्म लगभग 40% क्षेत्र में उगाई जाती है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि एसोसिएशन की इंटरनल कैलकुलेशन के अनुसार किसानों को कुल मिलाकर 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

ऐसी स्थिति में हमारे लिए उनकी मांग को संभालना मुश्किल होगा

विजय सेतिया ने कहा कि किसान सरकार द्वारा निर्धारित एमईपी के दायरे में हैं. उन्होंने कहा कि अगर एमईपी को बाद में हटा दिया जाता है, तो जमाखोरों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि अगर कीमतें और गिरती हैं तो पहले बासमती चावल (Basmati Rice Price) की अच्छी कीमत देने वाले विदेशी खरीदार दाम पर फिर से बातचीत करने और उन्हें नीचे लाने की कोशिश करेंगे. सेतिया ने कहा कि ऐसी स्थिति में हमारे लिए उनकी मांग को संभालना मुश्किल होगा.

भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत ने 2022-23 में लगभग 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया है. बासमती चावल की औसत फ्री-ऑन-बोर्ड कीमत लगभग 1,050 डॉलर प्रति टन है और इसका निर्यात आम तौर पर तीन रूपों कच्चा, भूरा या उबले चावल के रूप में होता है.

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